भारत को ग्लोबल शिक्षा हब के रूप में विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध : निशंक
भारत को ग्लोबल शिक्षा हब के रूप में विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध : निशंक

भारत को ग्लोबल शिक्षा हब के रूप में विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध : निशंक

- आसियान पीएचडी फ़ेलोशिप कार्यक्रम के पहले बैच का किया स्वागत - आसियान देशों के 1000 छात्र भारत के आईआईटी संस्थानों में कर सकेंगे पीएचडी नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने शुक्रवार को कहा कि हम एक ग्लोबल माइंडसेट और ग्लोबल अप्रोच के साथ भारत को उच्च शिक्षा के एक ग्लोबल हब के रूप में विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। निशंक ने आज यहां वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग द्वारा दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्र संगठन (आसियान) के राष्ट्रों के राजदूतों की उपस्थिति में आसियान पीएचडी फ़ेलोशिप कार्यक्रम के पहले बैच का स्वागत किया और उन्हें भारत में अनुकूल शिक्षा का परिवेश एवं वातावरण मुहैया कराने का आश्वासन दिया। आसियान देशों के राष्ट्रदूतों के अलावा केंद्रीय राज्य शिक्षा मंत्री संजय धोत्रे, उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे, सचिव रीवा गांगुली दास आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो राम गोपाल एवं छात्र इस कार्यक्रम से वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग द्वारा जुड़े। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा, "इस फ़ेलोशिप कार्यक्रम की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 जनवरी, 2018 को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सभी दस आसियान देशों के नेताओं की उपस्थिति में की थी। इसके तहत आसियान देशों के 1000 छात्र भारत के आईआईटी संस्थानों में पीएचडी कर सकेंगे। उन्होनें कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से यह अकादमिक सम्पर्क हमें एक अलग स्तर पर सहयोग करने में सक्षम बनाएगा। अकादमिक एवं अनुसंधान संबंध दोनों क्षेत्रों के लिए परस्पर रूप से लाभकारी है। इसके अलावा 3 सी -- कल्चर (संस्कृति), कॉमर्स (वाणिज्य) तथा कनेक्टिविटी के सन्दर्भ में भी यह हमारे संबंधों को और मजबूत करेगा। आसियान के साथ भारत के जुड़ाव की एक अन्य प्रमुख वजह भारत की भौगोलिक स्थिति है। भारत पूरे एशिया-पेसिफिक क्षेत्र में साउथ एशिया तथा साउथ-ईस्ट एशिया के बीच एक सेतु का काम करता है। भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य आसियान देशों को एक लैंड कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं। केंद्रीय मंत्री ने आसियान के साथ भारत के व्यक्ति से व्यक्ति को जोड़ने वाले संबंधों की भी चर्चा की। आसियान इंटीग्रेशन के तहत भारत सीएलएमवी (कंबोडिया, लाओस, म्यांमार और वियतनाम) देशों के लॉ एनफोर्समेंट ऑफिसर्स को भाषा प्रशिक्षण देने के साथ ही, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्योरिटीज मैनेजमेंट, मुंबई द्वारा कैपिटल मार्केट से जुड़े लोगों को ट्रेनिंग देने का काम भी कर रहा है। उन्होंने नेशनल चिल्ड्रन साइंस कांग्रेस, आसियान-इंडिया एमिनेंट पर्सन लेक्चर सीरीज, आसियान इंडिया स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम, मीडिया एक्सचेंज प्रोग्राम, डिप्लोमेट ट्रेनिंग प्रोग्राम आदि का भी उल्लेख किया और कहा कि यह भारत और आसियान देशों के सहयोग और संपर्क का अतुल्य संबंध है। डॉ. निशंक ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आपको विश्व के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में अध्ययन करने का मौका मिला है और मैं आपके शोध कार्यक्रमों के लिए शुभकामनाएं देता हूं। आपको शिक्षा मंत्रालय का आसियान सचिवालय हर समय और हरसंभव सहायता प्रदान करेगा, जिसे विशेष रूप से आसियान देशों के छात्रों के लिए प्रो नोमेश बोलिया की देखरेख में बनाया गया है। निशंक ने नई शिक्षा नीति का जिक्र करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम भारत एवं आसियान देशों के शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों के लिए प्रौद्योगिकी एवं अनुसंधान के क्षेत्र में तालमेल के लिए कई दरवाजे खोलेगा। ये शोध एवं अविष्कार न केवल हमारी मदद करेंगे बल्कि दुनियाभर में मानव जाति की बेहतरी के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे। हिन्दुस्थान समाचार/सुशील-hindusthansamachar.in

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