बुन्देली संगीत को नई ऊंचाई देने वाले गायक का निधन
बुन्देली संगीत को नई ऊंचाई देने वाले गायक का निधन

बुन्देली संगीत को नई ऊंचाई देने वाले गायक का निधन

अनिल शर्मा जालौन, 05 सितंबर (हि.स.)। बुन्देलखण्ड के प्रख्यात लोकगीत सम्राट पं.देशराज पटेरिया अब हमारे बीच नही रहे। लेकिन इनकी विधा हमेशा हमारे बीच मौजूद रहेगी। बुन्देली लोकगीतों के माध्यम से लोगों को बांध कर रखने की उनमे विशेष कला थी। उरई में उनके दर्जनो कार्यक्रम हो चुके हैं। उनके कार्यक्रमो में उनके नाम से ही भीड़ जुट जाती थी और जब तक वह मंच पर मौजूद रहते थे तब तक श्रोता व दर्शक अपनी कुर्सी से टस से मस नही होते थे। देशराज पटेरिया बुन्देली लोकगीत व संगीत के चमकते सितारे थे: कुमुद लोककला विशेषज्ञ अयोध्या प्रसाद कुमुद ने कहा कि बुन्देली लोकगीत, संगीत को आमजन और घर घर तक पहुंचाने वाले प्रसिद्ध बुन्देली गीत, संगीत गायक देशराज पटेरिया के निधन से बुन्देलखण्ड के एक चमकते सितारे व एक युग का अंत हो गया। श्रीकुमुद जी ने कहा कि बुन्देली लोकगीत व संगीत को आमजन के बीच मे लोकप्रिय बनाने मे देशराज पटेरिया की विशेष भूमिका रही है। वे कई बार उरई आए। उरई से उनका विशेष लगाव था। बुन्देली लोगों मे उनकी क्षति हमेशा बनी रहेगी। देशराज पटेरिया से बुन्देली गीत, संगीत को मिली नई ऊंचाई बुन्देलखण्ड के मोहम्मद रफीक के नाम से मशहूर मिर्जा साबिर वेग ने कहा कि महान बुन्देली गायक देशराज पटेरिया के कारण बुन्देली गीत, संगीत को नई ऊंचाई मिली। पहले बुन्देली लोकगीत, संगीत केवल गांव तक सीमित था। देशराज पटेरिया के कारण वह गांव से शहर तक जनकृजन मे पॉपलर हो गया। उनकी गायकी की एक अनूठी शैली थी। जिससे दर्शक सोता, मंत्रमुग्ध हो जाता था। जब वह लाला हरदौल का चित्रण अपनी गायकी से करते थे तो सैकड़ों महिला पुरूषों की आंखे नम हो जाती थी। बुन्देली लोक गायकी के चर्चित नाम थे देशराज प्रख्यात गायक व संगीतकार राजेश निरंजन ने कहा कि देशराज पटेरिया बुन्देली लोक गायकी के चर्चित नाम थे। सही कहा जाए तो पूरे देश मे बुन्देली लोक गायकी उनके कारण ही मशहूर हुयी। वे संत राजेश्वरानंद सरस्वती (राजेश रामायणी) के पिता प्रसिद्ध लोक गायक अमरदान के शिष्य थे। उन्होने बुन्देली लोकगायकी क ो नई ऊं चाईयों पर पहुंचाया। हम लोग संत राजेश्वरानंद सरस्वती के साथ भी देशराज पटेरिया के साथ कई मंचो पर रहे है। उन्हें पदमश्री सम्मान से भी सम्मानित किया गया था। बुन्देली लोकगीत सम्राट देशराज पटेरिया की ही देन प्रसिद्ध गायकार डा.शगुफ्ता मिर्जा का कहना है कि बुन्देली लोकगीत के पहले कैसेट बने और वह खूब पॉपलर हुए। बाद मे इसके एलवम भी बने। वह बुन्देली लोकगीत सम्राट देशराज पटेरिया की ही देन है। उनके कारण ही बुन्देली गायकी मे रेप और पॉप गीत संगीत का चलन वढ़ा। सबसे बड़ी बात यह है कि अपनी गायकी मे श्रृंगार, हास्य, व्यंग और करूण रस का बहुत अच्छा प्रयोग करते थे। उन्होने बुन्देली लोकगीत को इतना पॉपलर किया है। उनका नाम सुनते ही हजारों श्रोताओं, दर्शकों की भीड़ कार्यक्रम स्थल तक पहुंच जाती थी। हमने बुन्देली लोकगायकी का एक बहुत बड़ा कलाकार खो दिया है। हम उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करते है। हिन्दुस्थान समाचार-hindusthansamachar.in

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