बाहुबली शहाबुद्दीन को चर्चित तेजाब कांड में सजा दिलानेवाले चंदा बाबू पंचतत्व में विलीन
बाहुबली शहाबुद्दीन को चर्चित तेजाब कांड में सजा दिलानेवाले चंदा बाबू पंचतत्व में विलीन

बाहुबली शहाबुद्दीन को चर्चित तेजाब कांड में सजा दिलानेवाले चंदा बाबू पंचतत्व में विलीन

- चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू को दिव्यांग बेटे नितिश राज ने दी मुखाग्नि - दो बेटों की तेजाब से नहलाकर और एक की गोली मारकर की गई थी हत्या - इस मामले में बाहुबली राजद सांसद शहाबुद्दीन को मिली है उम्रकैद की सजा पटना, 17 दिसम्बर (हि.स.)। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन को चर्चित तेजाब कांड में सजा दिलानेवाले चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू गुरुवार की देर शाम पंचतत्व में विलीन हो गये। मुखाग्नि उनके दिव्यांग बेटे नितिश राज ने दी। अंतिम संस्कार के लिए घर से घाट तक आने के दौरान पूर्व भाजपा सांसद ओमप्रकाश यादव सहित स्वजनों ने चंदा बाबू की अर्थी को कंधा दिया। अंतिम संस्कार के मौके पर जदयू नेता व सांसद कविता के पति अजय सिंह सहित काफी संख्या में लोग मौजूद थे। वे कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। एक दिन पहले 16 दिसम्बर की रात उनकी तबीयत खराब हो गई थी। इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया लेकिन चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया था। डॉक्टरों ने बताया कि उनकी मौत हार्ट अटैक से हुई है। मौत की सूचना मिलते ही उनके आवास पर काफी संख्या में नेताओं सहित अन्य लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। गुरुवार को चंदा बाबू की बेटी के दिल्ली से आने का इंतजार किया जा रहा था, लेकिन उनके नहीं पहुंच पाने के कारण शाम में अंतिम संस्कार किया गया। चंदा बाबू की पत्नी का निधन पिछले वर्ष हो गया था। पत्नी के निधन के बाद वे अपने दिव्यांग चौथे पुत्र के साथ अकेले शहर के गौशाला रोड स्थित अपने आवास में रहते थे। उनकी दर्दनाक कहानी जानने के लिए कुछ साल पीछे चलते हैं। चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ़ चंदा बाबू का एक भरा पूरा परिवार था। वर्ष 2004 तक सीवान के गौशाला रोड स्थित चंदा बाबू के घर में खुशहाली थी। वे व्यवसाय करते थे जबकि उनके बड़े भाई पटना में अधिकारी थे। पढ़ी-लिखी पत्नी और 4 बच्चे थे। 3 बच्चे अलग-अलग दुकानों पर व्यवसाय संभाल रहे थे जबकि एक बेटा दिव्यांग होने की वजह से उन दोनों के साथ रहता था। 2004 में स्थिति तब बिगड़ी जब बाहुबली सांसद शहाबुद्दीन ने चंदा बाबू की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश शुरू की। गौशाला रोड के पुराने घर को चंदा बाबू ने नया रूप देना शुरू किया। उसके एक छोटे से कमरे में अनधिकृत रूप से एक व्यक्ति ने गुमटी रखकर अपना दुकान चलाना आरंभ कर दिया। शुरू में तो वह गुमटी एक दिखावे की थी लेकिन जैसे ही घऱ का निर्माण पूरा हुआ तो उसने उस पर अपना कब्जा करना चाहा। इसी को लेकर विवाद शुरू हुआ। बात बढ़ने पर शहाबुद्दीन के इशारे पर भेजे गये बदमाशों से चंदा बाबू के परिवार के बीच झड़प हो गई। इसी दौरान जान बचाने के उद्देश्य से चंदा बाबू के परिवार वालों ने कारोबार के उद्देश्य से रखे गए तेजाब को फेंक कर अपनी जान बचाई। इस घटना में दो बदमाश गंभीर रूप से झुलस गये। इसी के प्रतिशोध में 2004 में चंद्रकेश्वर प्रसाद के दोनों छोटे बेटे गिरीश और सतीश का उनकी दुकानों से अपहरण कर लिया गया और दोनों की तेजाब से नहला कर हत्या कर दी गई। इस मामले का चश्मदीद रहा बड़ा भाई राजीव रोशन किसी तरह बदमाशों की गिरफ्त से अपनी जान बचाकर भाग निकला। इस मामले में मां कलावती देवी ने थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई। इस घटना के मुख्य गवाह बने राजीव की बाद में सीवान के डीएवी मोड़ पर गोली मार कर हत्या कर दी गई। हत्या के महज 18 दिन पहले ही राजीव की शादी हुई थी। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार अपने बेटों की हत्या के आरोपित बाहुबली सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को तिहाड़ भिजवाकर ही चंदा बाबू ने दम लिया। इस मामले में तीन अन्य दोषियों राजकुमार साह, शेख असलम और मुन्ना मियां को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई। कोर्ट का फैसला आने के बाद चंदा बाबू ने कहा यह पूरा इंसाफ नहीं है। फांसी के लिए ऊपरी कोर्ट में जाएंगे। पिछले साल चंदा बाबू की पत्नी कलावती देवी का निधन हो गया था। न्याय की लड़ाई में पत्नी के बीच रास्ते में साथ छोड़ देने से वे बिल्कुल टूट से गए थे। इस बीच चंदा बाबू पर मुकदमा उठाने के काफी दबाव पड़े, पर वे अंतिम सांस तक न कभी झुके और न ही डरे। हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/सुनीत-hindusthansamachar.in

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