फतेहपुर : सरकारी क्रय केन्द्रों पर नहीं खरीदा जा रहा किसानों का धान
फतेहपुर : सरकारी क्रय केन्द्रों पर नहीं खरीदा जा रहा किसानों का धान

फतेहपुर : सरकारी क्रय केन्द्रों पर नहीं खरीदा जा रहा किसानों का धान

- खुले बाजार में किसान 11 सौ से 13 सौ के बीच धान बेचने को हो रहा मजबूर - मुख्यमंत्री के सख्त निर्देश भी हो रहे बेअसर फतेहपुर, 01 दिसंबर (हि.स.)। केन्द्र सरकार ने किसान बिल पास करते हुए बड़े जोर शोऋ से दावा किया था कि इन किसान बिलों से किसान की आय दुगनी हो जायेगी। किसान भी बहुत खुश था। किसान की यह खुशी उस समय निराशा में बदल गयी जब सरकारी क्रय केन्द्रों में किसान का धान खरीदा ही नहीं जा रहा। उसके लिए क्रय केन्द्र संचालक तमाम शर्तें बताकर धान खरीदने में असमर्थता जता कर किसानों को वापस लौटने को मजबूर कर रहे हैं। प्रशासन और शासन स्तर पर सिर्फ जुबानी हवा पानी तो की जा रही है और कागजी घोड़े दौड़ाकर किसानों के साथ अन्याय किये जाने पर सख्त कार्यवाही किये जाने की बाते की जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त रूख व निर्देशों के बाद भी जमीन हकीकत बदलती नजर नहीं आ रही है। किसान अपना धान खुले बाजार में औने-पौने दाम में बेचने को मजबूर है। आय दुगनी के बजाय उसकी आय आधी होकर रह गयी है। केंद्र व प्रदेश सरकार किसानों की उपज का सही मूल्य दिलाने को लेकर लगातार प्रयास कर रही है। लेकिन जिले के केंद्र संचालकों की दबंगई ने सरकारी मनसा को ही उलट कर रख दिया है। क्रय केंद्रों के संचालकों की मनमानी के चलते ही घटतौली से लेकर व्यापारियों का धान खरीद कर लाखों रुपये कमाए जा रहे हैं जबकि किसान धान की बिक्री को लेकर क्रय केंद्रों का चक्कर लगा रहा है। जिले के तेरह विकास खंडों में धान क्रय केन्द्रों की स्थापना कर दी गई और इस बात का हल्ला मचा दिया गया कि किसानों से धान की खरीद 1868 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से की जाएगी। धान की खरीद की जिम्मेदारी हॉटशाखा, पीसीएफ, यूपी एग्रो, एनसीसीयफ, नेफेड, पी सी यू, कृषक हित सहित एसयूजी, किसान ज्योति, भारतीय खाद्य निगम को सौंपी गई है। यदि सरकारी दस्तावेजों की माने तो कुल 74 केंद्र जिले में खोले गए हैं, लेकिन धान क्रय केंद्रों का संचालन करने वाले सरकार की मंशा पर ही पलीता लगा रहे हैं। एक के बाद एक शिकायतों का आना जारी है, दबंगई-गुंडई से किसान परेशान तो है ही लेकिन जब उनका धान कटौती के बाद भी नहीं लिया जाता तो उनकी परेशानी और भी बढ़ जाती है। किसानों के बजाय व्यापारियों का धान खरीदने का जो सिलसिला सरकारी क्रय केंद्रों पर जारी है उसने तो किसानों की कमर तोड़ दी है। संचालक से लेकर ऊपर तक जिस तरह से अवैध कमाई का बंदरबांट किया जा रहा है उससे योगी सरकार को बदनामी के अलावा और कुछ भी हासिल नहीं हो पा रहा। पलनहा गांव के किसान रामदयाल ने बताया कि जिले में यूपी एग्रो की देखरेख में खोले गए धान क्रय केंद्र पलनहा, लालीपुर, मोजमाबाद, टीसी, सातोंसुल्तानपुर, बेर्रवा, टीकर, अलीपुर, मझटेनी, धाता मवैया, नोनारा में धान क्रय केंद्र खोले गए हैं। धान क्रय केंद्र खोल तो दिए गए हैं लेकिन इनमें से कई ऐसे केंद्र हैं जहां अव्यवस्था और भ्रष्टाचार जैसा बोलबाला देखा जा रहा है। पलनहा धान क्रय केंद्र एक ऐसा केंद्र है जहां पता ही नहीं लग पाता कि यहां धान की खरीद की जा रही है केंद्र कब खुलता है कब बंद हो जाता है यह भी संचालक की मनमानी पर ही निर्भर करता है। ना तो इस केंद्र में किसानों के ट्रैक्टर दिखाई देते हैं और ना ही धान की खरीद जैसी गतिविधियां नजर आती है। कुल मिलाकर यूपी एग्रो की मनमानी यहां पूरी तरह से हावी है। किसानों की सुनने वाला कोई भी नहीं है ऐसा लगता है कि यूपी एग्रो के आला अधिकारी भी संचालकों को मनमानी करने की पूरी छूट दे रखी है। भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारी रामाधार उमराव का कहना है कि किसान अपनी फसल बचाने को लेकर जितना चिंतित रहता है। उससे कहीं ज्यादा अपनी उपज का सही मूल्य पाने को लेकर चिंताओं से घिरा रहता है। क्रय केंद्रों के संचालकों और उनके आलाधिकारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए कि जब प्रदेश सरकार किसानों की उपज का सही मूल्य दिलाने के लिए क्रय केंद्रों की स्थापना की है तो फिर उनका शोषण क्यों किया जा रहा है। क्या सरकारी क्रय केन्द्रों के संचालक व जिले के आलाअधिकारियों को सरकार की मंशा के अनुरूप धान की खरीद नहीं करवानी चाहिए ? जिला खाद्य व विपणन अधिकारी रमेश श्रीवास्तव से किसानों की परेशानियों व उनका धान न खरीदे जाने पर सवाल किया गया तो उनका कहना है कि किसानों के धान खरीदने में कोई बाधा नहीं है। धान गीला होने पर ही क्रय केन्द्र संचालक मना कर सकते है। लेकिन यदि किसान का धान सूखा होगा तो फिर हर हाल में किसान का धान बिकेगा। जो क्रय केन्द्र संचालक किसानों के धान खरीदने में आनाकानी करेगा उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जायेगी। हिन्दुस्थान समाचार/देवेन्द्र-hindusthansamachar.in

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