पूरे राज्य में महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव की मनायी गई 452वीं पुण्यतिथि
पूरे राज्य में महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव की मनायी गई 452वीं पुण्यतिथि

पूरे राज्य में महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव की मनायी गई 452वीं पुण्यतिथि

गुवाहाटी, 20 अगस्त (हि.स.)। महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव ने असम के लोगों को शांति के रास्ते पर चलने का मार्ग दिखाया। उन्होंने लोगों के हृदय से अज्ञानता का अंधकार दूर कर जनजागृति उत्पन्न की। शंकरदेव की धारणा थी धर्म तोड़ता नहीं जोड़ता है। धर्म हमारी मन, बुद्धि व आत्मा के शुद्ध करने का प्रमुख साधन है। ईश्वर एवं धर्म के प्रति आस्था ही मानव कल्याण का प्रमुख स्रोत है। महापुरुष श्रीमंता शंकरदेव की 452वीं पुण्यतिथि दिवस के अवसर पर गुरार को पूरे राज्य के नामघरों में पूरी श्रद्धा के साथ मनाया गया। महामारी कोरोना संक्रमण के चलते सरकारी नियमों का पालन करते हुए राज्य की प्रत्येक नामघर व सत्रों में महापुरुष शंकरदेव को श्रद्धा के साथ याद किया गया। सुबह से ही नाम कीर्तन से नामघर व सत्र मुखरित हो गए। असमिया साहित्य, संस्कृति, धर्म, दर्शन, समाज और संस्कृति का मूल स्त्रो वैष्णव धर्म के प्रचारक व असमिया जाति, साहित्य, संस्कृति के निर्माता, समाज सुधारक महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव को श्रद्धा ज्ञापित करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु नामघरों में पहुंचे थे। इस बार करोना संक्रमण के लिए श्रद्धालुओं की संख्या पहले से काफी कम रही। सरकार ने नामघरों व सत्रों में श्रद्धालुओं की संख्या बेहद सीमित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किया था। मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने भी डिब्रूगढ़ में स्थित आउनी आटी सत्र के शाखा सत्र में गुरुवार को पहुंचकर श्रीमंत शंकरदेव को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उन्हें याद किया। उन्होंने राज्यवासियों से गुरुजन के आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का आह्वान किया। उल्लेखनीय है कि गुरुवार की सुबह राजधानी के नामघर में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रंजीत कुमार दास ने गुरुजन श्रीमंत शंकरदेव को श्रद्धा अर्पित किया। शंकरदेव के जन्म स्थान बटद्रवा थान में भी विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस संदर्भ में सुबह से ही यहां नाम कीर्तन प्रसंग शुरू हुआ। पूरी धार्मिक रीति-नीति के अनुसार विभिन्न तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। वहीं बरपेटा सत्र में भी इस दिवस का पालन बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ किया गया। संपूर्ण सत्रीया नीति, परंपरा के अनुसार श्रद्धालुओं ने अपनी पर श्रद्धा अर्पित किया। गोलाघाट जिला के अठखेलिया नामघर में महापुरुष शंकर श्रीमंत शंकरदेव की पुण्यतिथि का पालन किया गया। श्रीमंत शंकरदेव के पुण्यतिथि दिवस के साथ ही भादो माह के अवसर पर आयोजित होने वाला पालनाम उत्सव भी आरंभ हुआ। कामरूप जिला की सुवालकुची के प्रत्येक नामघर व सत्रों में महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव की पुण्य तिथि दिवस का पालन किया गया। श्रद्धालुओं ने पूरे भक्ति भावना क साथ गुरुजन को श्रद्धा सुमन अर्पित किया। कामरूप जिला के श्रीश्री हाटी सत्र में भी गुरुजन को याद किया गया। इस अवसर पर यहां सुबह से नाम कीर्तन शुरू हुआ। इसी तरह राज्य के अन्य हिस्सों में भी गुरुजन को नामघरों व सत्रों में याद किया गया। पूरे राज्य में गुरुवार को भक्ति की धारा पूरे दिन बहती रही। श्रीमंत शंकरदेव द्वारा रचित नाम कीर्तन की गूंज सुनाई देती रही। हिन्दुस्थान समाचार /देबोजानी/ अरविंद-hindusthansamachar.in

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