पार्टी में केवल सांगठनिक नहीं बल्कि वैचारिक आदर्शों पर भी चर्चा जरूरी : तथागत
पार्टी में केवल सांगठनिक नहीं बल्कि वैचारिक आदर्शों पर भी चर्चा जरूरी : तथागत

पार्टी में केवल सांगठनिक नहीं बल्कि वैचारिक आदर्शों पर भी चर्चा जरूरी : तथागत

राज्यपाल पद से सेवानिवृत्त हो चुके तथागत राय सक्रिय राजनीति में करेंगे वापसी कोलकाता, 19 अगस्त (हि.स.)। मेधावी छात्र, कुशल प्रशासक, समर्पित लेखक, प्रखर वक्ता, यशस्वी शोधकर्ता व अनुभवी राजनेता जैसे बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी तथागत राय सक्रिय राजनीति में वापसी करने के इच्छुक हैं। हाल ही में मेघालय के राज्यपाल पद से सेवानिवृत्त हुए तथागत राय ने अपनी इस इच्छा से भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को अवगत करा दिया है। अपने बेबाक बयानों की वजह से अक्सर सुर्खियों में रहने वाले राय बंगाल भाजपा के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं और एक बार फिर वे बंगाल के राजनीतिक मैदान पर अपनी दूसरी पारी का आगाज करना चाहते हैं। तथागत राय ने अपने छात्र जीवन से लेकर भावी रणनीतियों व बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा की संभावनाओं पर हिन्दुस्थान समाचार से विस्तृत बातचीत की। प्रस्तुत है हिन्दुस्थान समाचार संवाददाता अशोक सेनगुप्ता से उनकी बातचीत के प्रमुख अंश:- प्रश्न: पहले हमें अपने बचपन या छात्र जीवन के बारे में थोड़ा बताएं। उत्तर: मेरा जन्म कलकत्ता में हुआ था। मेरे पिता ने जादवपुर के नेशनल इंस्ट्रूमेंट्स में कार्यरत थे। हार्टले स्कूल में पढ़ाई शुरू हुई। दो साल बाद सेंट लॉरेंस में पढ़ा। हायर सेकेंडरी में मुझे छठा स्थान मिला। उसके बाद बीई कॉलेज शिबपुर से पढ़ा। मुझे अखिल भारतीय स्तर पर भारतीय इंजीनियरिंग सेवा (आईईएस) में पांचवां स्थान मिला था। प्रश्न: आपने अपना कर्मजीवन कहाँ बिताया? उत्तर : मूल रूप से कोलकाता मेट्रो। वहां से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर जादवपुर विश्वविद्यालय में अध्यापन से जुड़ गया। मेरे प्रयासों से वहां कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग विभाग स्थापित हुआ था। प्रश्न: राजनीति में प्रवेश कब और कैसे हुआ? उत्तर: मैं 1986 में आरएसएस से जुड़ा। फिर 1990 में भाजपा में शामिल हुआ। 2002 से 2006 तक मैं पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष था। प्रश्न: उस समय आपको किस प्रकार की राजनीतिक बाधाओं से जूझना पड़ा? उत्तर: पश्चिम बंगाल की राजनीति हमेशा ध्रुवीकरण पर आधारित रही है। यहां दूसरे या तीसरे पक्ष के लिए कोई जगह नहीं है। जिस दौरान मैं भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष था, सीपीएम और तृणमूल नंबर एक और दो पार्टियां हुआ करती थीं। उस वक्त यहां की राजनीति में जगह पाना बहुत मुश्किल था। पार्टी के साथ भी कुछ समस्याएं थीं। प्रश्न: क्या भाजपा के निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष के लिए माहौल अधिक अनुकूल है? उत्तर : बेशक, एक हजार गुना अधिक अनुकूल है। सीपीएम, कांग्रेस में नेतृत्व की कमी है। भाजपा दूसरे स्थान पर मजबूती से उभरी है। प्रश्न: ऐसी अटकलें हैं कि आप फिर से बंगाल भाजपा अध्यक्ष पद पर आसीन हो सकते हैं? इसमें कितनी सच्चाई है? उत्तर: ऐसी कोई बात मुझे ज्ञात नहीं है। मेरे राज्यपाल का कार्यकाल समाप्त हो गया है। मैंने बहुत पहले भाजपा नेतृत्व को सूचित कर दिया था कि मैं पार्टी के लिए फिर से काम करूंगा। मेरी क्या भूमिका होगी, यह पार्टी तय करेगी। प्रश्न: पश्चिम बंगाल में भाजपा की गुटबाजी चर्चा का विषय है। इससे छुटकारा पाने का उपाय क्या है? उत्तर : हमें बीजेपी की विचारधारा पर जोर देना होगा। केवल सांगठनिक चर्चा से काम चलने वाला नहीं है। वैचारिक आदर्शों के सशक्तिकरण पर भी ध्यान देने की जरूरत है। प्रश्न: इसका मतलब यह निकाला जाये कि पश्चिम बंगाल में पार्टी की दिशा सही नहीं है? उत्तर: नहीं। ऐसी बात नहीं है लेकिन भाजपा के वैचारिक आदर्शों को लेकर बात करने की आवश्यकता है। केवल संगठन के बारे में चिंता करने के परिणामस्वरूप, व्यक्तिगत हित हावी होने लगे हैं। प्रश्न: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिये सफलता की कितनी संभावना है? उत्तर: 60 प्रतिशत से अधिक। हालांकि, इसके लिये पार्टी का सटीक संचालन जरूरी है। प्रश्न: भाजपा जीतेगी तो मुख्यमंत्री कौन होगा? उत्तर : मुझे इस बारे में कोई अंदाजा नहीं है। पार्टी नेतृत्व इसे तय करेगा। प्रश्न: आप लंबे समय से पूर्वोत्तर क्षेत्र को नजदीक से देखते रहे हैं। पूर्वोत्तर के समग्र विकास के लिए केंद्र के प्रयासों को आप पर्याप्त मानते हैं ? उत्तर : बिल्कुल। उत्तर-पूर्व में कई समस्याएं हैं। केंद्र हल करने की कोशिश कर रहा है। जितना संभव हो उतना निवेश लाने की कोशिश हो रही है। प्रश्न: त्रिपुरा में वाम शासन की अवनति के बाद, क्या कोई महत्वपूर्ण आर्थिक प्रगति हुई है? उत्तर : बिल्कुल। त्रिपुरा में मार्च 2016 में माकपा को परास्त कर भाजपा की सरकार बनी थी। मैं उस साल अगस्त तक त्रिपुरा का राज्यपाल था। उसके बाद हुए महत्वपूर्ण आर्थिक कार्यों का तात्कालिक रिकॉर्ड नहीं दे पाऊंगा लेकिन, वहां बहुत काम किया गया है या किया जा रहा है। प्रश्न: आपकी बेबाक टिप्पणियां बहुत लोगों को खलती है। कई बार आप पर अशालीन बयानबाज़ी का आरोप लगता है। आपको नहीं लगता कि और अधिक संयमित होना चाहिए ? उत्तर: यदि ऐसी किसी टिप्पणी विशेष का उल्लेख करें तो जवाब देना सुविधाजनक होगा। मैंने कभी कोई अशोभनीय टिप्पणी नहीं की। मैं जो भी कहता हूं, तर्क के साथ कहता हूं। किसी को बुरा लगता है तो मैं कुछ नहीं कर सकता। हिन्दुस्थान समाचार/अशोक/ओम प्रकाश/मधुप-hindusthansamachar.in

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