निशंक ने किया विद्या भारती की 'मेरी शिक्षा, मेरा भारत' प्रतियोगिता का उद्घाटन
निशंक ने किया विद्या भारती की 'मेरी शिक्षा, मेरा भारत' प्रतियोगिता का उद्घाटन

निशंक ने किया विद्या भारती की 'मेरी शिक्षा, मेरा भारत' प्रतियोगिता का उद्घाटन

- नई शिक्षा नीति के बदलावों को आम जनता तक पहुंचाना उद्देश्य - 13 भाषाओं में 2 अक्टूबर तक चलेगी प्रतियोगिता नई दिल्ली, 11 सितम्बर (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने शुक्रवार को विद्या भारती द्वारा कराई जा रही मेरी शिक्षा, मेरा भारत "एमवाई एनईपी" प्रतियोगिता का उद्घाटन किया। इस मौके पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाने वाली समिति के प्रमुख के कस्तूरीरंगन, जेएनयू कुलपति जगदीश कुमार और पहलवान बबिता फोगाट भी उपस्थित थे। विद्या भारती द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 से शिक्षा में आने वाले बदलावों को जन जन तक पहुंचाने के लिए 13 भाषाओं में कराये जा रहा यह अखिल भारतीय स्तर का कार्यक्रम 25 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलेगा। प्रतिभागियों को तीन वर्गों में बांटा गया है। प्रथम वर्ग में कक्षा 9 से 12, द्वितीय वर्ग स्नातक के छात्रों एवं तृतीय वर्ग आम नागरिकों के लिए है। सभी प्रतियोगिताओं में हर वर्ग एवं भाषा के लिए पुरस्कार हैं। "एमवाई एनईपी" कार्यक्रम में 'मीम बनाओ', हस्तनिर्मित एवम डिजिटल पोस्टर बनाना, प्रधानमंत्री के नाम पत्र, निबंध लेखन, प्रश्नोत्तरी इत्यादि प्रतियोगिताओं में छात्रों को भाग लेने का अवसर मिलेगा। कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ने कहा कि, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमें भारत-केंद्रित शिक्षा की ओर ले जाएगी। भारत केंद्रित शिक्षा से ही हम भारतीय मूल्यों को केंद्र में रखकर हमारे का सपनों का आत्मनिर्भर भारत बना सकते हैं। मैकॉले द्वारा हमें अपनी जड़ों से दूर करने वाली शिक्षा से निकालकर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमें अपनी जड़ों से जुड़ने और उन्हें मजबूत करने का अवसर देगी। यह शिक्षा नीति विश्व में सबसे व्यापक परामर्श से बनाई गई नीतियों में से एक है। विद्या भारती के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीराम ने कहा कि, हमारी शिक्षा प्रणाली में सबसे बड़ी समस्या जो समय के साथ आ गयी थी वो था इसमें रटंत विद्या का प्रभुत्व। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में समग्र शिक्षा पर जोर देकर इसे दूर करने का प्रयास किया गया है, जिससे छात्रों को अपने व्यक्तित्व के समग्र विकास का अवसर प्राप्त होगा। प्रसिद्ध पहलवान बबिता फोगाट ने कहा कि, हमारे विद्यालयों में लगातार यह देख गया है कि गुणवत्ता से अधिक संख्या पर ध्यान दिया जाता है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में गुणवत्ता पर जोर दिया जाना एवं उसके लिए जरूरी उपाय करना एक महत्वपूर्ण कदम है, इसके दूरगामी लाभ समाज को मिलेंगे। खेलकूद को इस शिक्षा नीति में पढ़ाई के बराबर स्थान दिया गया है, जिससे छात्रों के समग्र विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपति एम जगदीश कुमार ने कहा कि, शिक्षा का उद्देश्य ज्ञान वर्धन होना चाहिए, जिससे कि एक ज्ञान आधारित समाज का निर्माण हो सके। भारतीय समाज पारंपरिक रूप से ज्ञान आधारित समाज रहा है, लेकिन विदेशी शिक्षा प्रणाली के थोपे जाने से यह लुप्त हो गया था। ज्ञान आधारित समाज बनाने की जो परिकल्पना नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में की गई है वह भारत को अपना गौरव पुनः दिलाने में महत्वपूर्ण होगा। विद्या भारती उच्च शिक्षण संस्थान के अखिल भारतीय अध्यक्ष कैलाश शर्मा ने कहा कि, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने भारतीय समाज की आवाज और मांगों पर आधारित देश की शिक्षा नीति बनाई है| विद्या भारती 1952 में अपनी स्थापना से ही भारत केंद्रित शिक्षा की माँग करती रही है। पूर्व में भी शिक्षा नीतियों में प्रबुद्ध समाज की बहुत सारी माँगों को रखा गया था, लेकिन राजनीतिक कारणों से वो क्रियान्वयन तक नहीं पहुंच पाई। इस सरकार ने जिस तरह की इच्छाशक्ति राष्ट्रहित के मुद्दों पर दिखाई है उससे मुझे यह पूरी उम्मीद है कि भारत केंद्रित शिक्षा का हमारा सपना धरातल पर उतरेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाने वाली समिति के प्रमुख के कस्तूरीरंगन ने वीडियो संदेश के माध्यम से विद्या भारती को प्रतियोगिता के लिए शुभकामनाएं दी तथा शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण बिंदुओं को सबके सामने रखा। हिन्दुस्थान समाचार/सुशील-hindusthansamachar.in

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