निशंक ने एनआईटी तिरुचिरापल्ली के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के स्वर्ण जयंती भवन का किया उद्घाटन
निशंक ने एनआईटी तिरुचिरापल्ली के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के स्वर्ण जयंती भवन का किया उद्घाटन

निशंक ने एनआईटी तिरुचिरापल्ली के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के स्वर्ण जयंती भवन का किया उद्घाटन

नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने मंगलवार को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) तिरुचिरापल्ली के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के स्वर्ण जयंती भवन का उद्घाटन किया। इस भवन में कक्षाएं, लेबोरेटरी, सेमिनार हॉल और फैकल्टी कक्ष भी हैं। इस अवसर पर एनआईटी तिरुचिरापल्ली की निदेशक डॉ मिनी शाजी थॉमस, बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स के अध्यक्ष भास्कर भट, केमिकल इंजीनियरिंग विभाग की प्रमुख डॉ के एम मीरा शेरिफा बेगम एवं संस्थान के अन्य शिक्षक भी मौजूद थे। केंद्रीय मंत्री निशंक ने कहा कि वर्तमान में इस संस्थान में 10 स्नातक, 31 परास्नातक और 17 विभागों में पीएचडी कार्यक्रम चलते हैं और यहां 6880 छात्र पढ़ते हैं। इस संस्थान की सबसे बड़ी खासियत छात्रों को स्वस्थ वातावरण में शिक्षा प्रदान करना और छात्रों के सम्पूर्ण व्यक्तित्व को सशक्त बनाना रही है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण यहां के पूर्व छात्रों का देश के शीर्ष पदों पर होना है। इस संस्थान के कुछ जाने माने पूर्व छात्र हैं टाटा संस के अध्यक्ष एन चंद्रसेकरन, टीसीएस के सीईओ राजेश गोपीनाथ, अमेरिका की ब्लूम एनर्जी में कार्यरत के आर श्रीधर, सोनाटा सॉफ्टवेयर में कार्यरत श्रीकर रेड्डी, टाटा स्टील के ग्लोबल सीईओ एवं एमडी टी वी नरेंद्रन, एच सी एल के उपाध्यक्ष श्रीमती एस, स्टैनफोर्ड के एआई लैब्स में कार्यरत श्रीधर महादेवन, एयर मार्शल कनकराज, अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के सीईओ अनुराग बेहर इत्यादि हैं. डॉ निशंक ने कहा कि एनआईटी तिरुचिरापल्ली ने अपने शिक्षण के दम पर और 2018 के 15 वर्षीय स्ट्रेटेजिक प्लान के दम पर ही एनआईआरएफ रैंकिंग में सुधार दर्ज किया है। इसके अलावा निशंक ने एनआईटी तिरुचिरापल्ली द्वारा किये गए नवाचारों, दर्ज कराए गए पेटेंट एवं प्रकाशित किये गए शोधकार्यों का भी उल्लेख किया और उनकी सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत सरकार स्टडी इन इंडिया, स्टे इन इंडिया तथा शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण के माध्यम से भारत को शिक्षा के वैश्विक हब के रूप में स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है और हमारी इस प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए एनआईटी तिरुचिरापल्ली जैसे संस्थानों की सहयोगी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। इसके अलावा डॉ निशंक ने नई शिक्षा नीति के बारे में बताते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति ग्लोबल माइंड सेट के साथ इंडियन, इंटरनेशनल, इंपैक्टफुल, इंटरएक्टिव और इंक्लूसिविटी के तत्वों को एक साथ समाहित करती है और मैं आप सब से आह्वान करता हूं कि नीति के सफल कार्यान्वयन के लिए अपने नेशनल तथा इंटरनेशनल ब्रांड एलुमनाई का एक नेटवर्क तथा टास्क फोर्स बनाइए ताकि आपके अनुभव, एक्सपर्टीज, ज्ञान, विद्या दान के माध्यम से हम इस नीति का सफल कार्यान्वयन कर सकें। उन्होंने कहा कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि नई शिक्षा नीति तथा एनआईटी तिरुचिरापल्ली जैसे संस्थान मिलकर ‘राष्ट्र निर्माण’ तथा ‘भारत को ज्ञान की महाशक्ति’ बनाने की दिशा में अपना शत-प्रतिशत योगदान देंगे और नए, शिक्षित, सशक्त, समृद्ध एवं आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सहायक सिद्ध होंगे। हिन्दुस्थान समाचार/सुशील/सुनीत-hindusthansamachar.in

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