देश की आजादी के बाद से विलुप्त हुए चीता, पिंक हेडिड डक और हिमालयी क्वेल
देश की आजादी के बाद से विलुप्त हुए चीता, पिंक हेडिड डक और हिमालयी क्वेल

देश की आजादी के बाद से विलुप्त हुए चीता, पिंक हेडिड डक और हिमालयी क्वेल

- बाबुल सुप्रियो ने लोकसभा में लिखित प्रश्न का दिया उत्तर नई दिल्ली, 18 सितम्बर (हि.स.)। देश की आजादी के बाद से चीता, पिंक हेडिड डक और हिमालयी क्वेल के विलुप्त हो चुके हैं। यह जानकारी शुक्रवार को लोकसभा में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री बाबुल सुप्रीयो ने दी। लोकसभा सदस्य दिव्येन्दु अधिकारी ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री से देश में 30, 000 से अधिक जानवरों की प्रजातियों के विलुप्त होने के कगार पर सवाल किया था। जिसके जवाब में बाबलु सुप्रीयो ने कहा कि मंत्रालय के पास ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है जिसमें इनके विलुप्त होने की जानकारी हो। इसके अलावा पिछले 50 सालों में भारत में वन्यजीव प्रजातियों के बड़े स्तर पर विलुप्त होने की कोई रिपोर्ट नहीं है। बाबुल सुप्रीयो ने बताया कि जानवरों की कई प्रजातियां बाघ, हाथी, गैंडा आदि को विलुप्त होने से बचाया गया है और देश में इनकी संख्या बढ़ रही है। इसके अलावा वन्यजीव पर्यावासों के विकास की वर्तमान योजना में अरेबियन समुद्री हम्पबैक ह्वेल, गांगेय डाल्फिन, हिम तेंदुआ, हंगुल, संगाई हिरण, समुद्री कछुआ, बस्टार्ड , गिद्ध सहित गंभीर रूप से संकटापन्न प्रजातियों और पर्यावासों के लिए बहाली कार्यक्रम का एक विशिष्ट घटक शामिल किया गया है। भारत में पाई जाने वाली दुर्लभ जैसेकि बाघ, हिम तेंदुआ, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, गैंगेटिक डॉल्फिन, डूगांग आदि को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 तहत सुरक्षा उपलब्ध कराई है। हिन्दुस्थान समाचार/विजयलक्ष्मी/सुनीत-hindusthansamachar.in

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