दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर झाड़ू लगाने से पहले ट्रीटेड पानी का छिड़काव करेंः एनजीटी
दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर झाड़ू लगाने से पहले ट्रीटेड पानी का छिड़काव करेंः एनजीटी

दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर झाड़ू लगाने से पहले ट्रीटेड पानी का छिड़काव करेंः एनजीटी

- सड़कों के किनारे पौधरोपण करने का भी निर्देश नई दिल्ली, 04 दिसम्बर (हि.स.)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली एनसीआर के नगर निगमों और स्थानीय निकायों को निर्देश दिया है कि वे वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सड़कों पर झाड़ू लगाने से पहले ट्रीटेड पानी का छिड़काव करें। जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने नगर निगमों को निर्देश दिया कि वो सड़कों के किनारे पौधे लगाएं। एनजीटी ने आरएस विर्क की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया। याचिका में कहा गया था कि मेट्रो शहरों में झाड़ू लगाने के समय उड़ने वाले धूलकणों से वायु प्रदूषण बढ़ता है। याचिका में कहा गया था कि धूलकणों का वायु प्रदूषण में 43 फीसदी योगदान है। याचिका में मांग की गई थी कि इन धूलकणों को खत्म करने के लिए झाड़ू लगाने से पहले पानी का छिड़काव किया जाना चाहिए। एनजीटी ने पाया कि सुप्रीम कोर्ट ने धूलकणों की वजह से होने वाले वायु प्रदूषण से निपटने के लिए वैक्युम क्लीनर के इस्तेमाल पर विचार किया था। 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फुटपाथों की मरम्मत करने और सड़कों की सफाई के लिए वैक्युम क्लीनर का उपयोग करने का निर्देश दिया था। एनजीटी ने दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर ‘एयर क्वालिटी मानिटरिंग इमिशन इंवेंटरी एंड सोर्स अपोर्सनमेंट स्टडीज’ की रिपोर्ट पर गौर करते हुए पाया था कि वायु प्रदूषण में धूलकणों का बड़ा योगदान है। धूलकणों का पीएम10 में 52.5 फीसदी योगदान है। रिपोर्ट में कहा गया था कि धूलकणों को नियंत्रित किया जा सकता है। एनजीटी ने कहा कि सड़कों की सफाई के लिए झाड़ू लगने से उड़ने वाले धूलकणों का वायु प्रदूषण में बड़ा योगदान है। इसलिए झाड़ू लगाने के पहले सड़कों और फुटपाथ पर पानी का छिड़काव जरूरी है। ये पानी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से ट्रीटेड होना चाहिए। इसके अलावा सड़कों के किनारे पौधे और झाड़ियों काे लगाया जाना जरूरी है। एनजीटी ने निर्देश दिया कि बायोमास और कचरे को जलाने से रोकने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। एनजीटी ने एनसीआर के सभी नगर निगमों को निर्देश दिया कि वे इस आदेश का अनुपालन रिपोर्ट तीन महीने में एक बार राज्य के पर्यावरण सचिव को भेजें। पर्यावरण सचिव इस रिपोर्ट को एकत्र कर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजेंगे। एनजीटी ने ऐसी पहली रिपोर्ट 28 फरवरी, 2021 तक भेजने का निर्देश दिया। एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 31 मार्च तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। हिन्दुस्थान समाचार/दधिबल-hindusthansamachar.in

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