चीन-भारत संबंध कठिन दौर से गुजर रहे हैं, दोनों देशों को समुचित ताल-मेल बैठाने की जरूरत : विदेश मंत्री
चीन-भारत संबंध कठिन दौर से गुजर रहे हैं, दोनों देशों को समुचित ताल-मेल बैठाने की जरूरत : विदेश मंत्री

चीन-भारत संबंध कठिन दौर से गुजर रहे हैं, दोनों देशों को समुचित ताल-मेल बैठाने की जरूरत : विदेश मंत्री

नई दिल्ली, 03 सितम्बर (हि.स.)। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन के हजारों साल पुराने अपने इतिहास के दौरान इन दिनों कठिनाई पूर्ण दौर से गुजर रहे हैं तथा उन्हें एक दूसरे के साथ समुचित तालमेल बैठाने की जरूरत है। एस जयशंकर ने अपनी नई पुस्तक ‘द इंडिया वे’ (भारत का रास्ता) पर आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय संवाद को संबोधित करते हुए कहा कि भारत और चीन दुनिया की दो सबसे पुरानी सभ्यताएं हैं। हजारों वर्ष के उनके इतिहास में अच्छे दौर आए हैं। ऐसा भी समय आया है जब वह एक-दूसरे के प्रति उदासीन रहे हैं तथा ऐसा समय भी आया है जब संबंध कठिनाइयों से गुजरे हैं। पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनाव की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में दोनों देशों के संबंध कठिनाई के दौर से गुजर रहे हैं। दोनों देशों को एक दूसरे के हितों को समुचित स्थान देना चाहिए। द्विपक्षीय संबंधों के बारे में दूरगामी दृष्टि अपनाए जाने पर जोर देते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और चीन दुनिया की एकमात्र ऐसी दो प्राचीन सभ्यताएं हैं जो चौथी औद्योगिक क्रांति में प्रवेश कर रही हैं। उल्लेखनीय है कि चौथी ओद्योगिक क्रांति कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और स्वचालन (ऑटोमेशन) पर आधारित है जो देशों की सीमाओं को लांघ जाती हैं। सीमा विवाद के समाधान के बारे में जयशंकर ने कहा कि इसका एकमात्र उपाय कूटनीति ही है। दोनों देशों के लिए यह जरूरी है कि वह द्विपक्षीय समझौता और सहमति का ईमानदारी से पालन करें तथा एकतरफा कार्रवाई से दूर रहें। विदेश मंत्री ने कहा कि रणनीतिक स्वायत्तता का अर्थ रणनीतिक उदासीनता नहीं है। बहुध्रुवीय विश्व में राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाने के लिए प्रयोगधर्मी रणनीति पर अमल करने की जरूरत है। इसमें जोखिम है लेकिन इसका कोई विकल्प भी नहीं है। विदेश मंत्री की पुस्तक का विमोचन 7 सितम्बर को होना है। पुस्तक में उन्होंने आजादी के बाद देश की विदेश नीति का लेखा-जोखा लिया है तथा आगे का रास्ता सुझाया है। जयशंकर ने आज यह स्पष्ट भी किया कि उन्होंने यह पुस्तक भारत-चीन सीमा विवाद की शुरूआत से पहले लिखी थी। हिन्दुस्थान समाचार/अनूप/सुफल-hindusthansamachar.in

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