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गंगा में शवों पर कविता को गुजरात साहित्य अकादमी ने कहा ‘आराजकता’
गुजरात साहित्य अकादमी के प्रकाशन के जून संस्करण के संपादकीय में गुजराती कवि पारुल खाखर की एक कविता को लेकर आलोचना की है. पारुल ने उत्तर प्रदेश और बिहार के गंगा नदी में तैरते संदिग्ध लाशों को लेकर एक कविता लिखी थी. उनपर “अराजकता” फैलाने का आरोप लगा है. वहीं क्लिक »-hindi.thequint.com