एमएलसी चुनावः प्रधानमंत्री मोदी के गढ़ में सपा ने लगाई मजबूती से सेंध, स्नातक सीट भी जीती
एमएलसी चुनावः प्रधानमंत्री मोदी के गढ़ में सपा ने लगाई मजबूती से सेंध, स्नातक सीट भी जीती

एमएलसी चुनावः प्रधानमंत्री मोदी के गढ़ में सपा ने लगाई मजबूती से सेंध, स्नातक सीट भी जीती

- अतिआत्मविश्वास, अहंकार, संवादहीनता, सोशल मीडिया पर बढ़ी निर्भरता और बेरोजगारी बनी 'हार' के कारण श्रीधर त्रिपाठी वाराणसी, 05 दिसम्बर (हि.स.)। समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद वाराणसी खंड के शिक्षक और स्नातक सीट को अपनी झोली में डाल भारतीय जनता पार्टी के मजबूत किले में मजबूती से सेंध लगा दिया है। वाराणसी खंड के आठों जिले वाराणसी, भदोही, चंदौली, गाजीपुर, बलिया, जौनपुर, मीरजापुर व सोनभद्र के स्नातक युवा मतदाताओं ने प्रत्याशियों का अतिआत्मविश्वास, अहंकार, संवादहीनता के साथ प्रदेश सरकार की कुछेक नीतियों को नकार उन्हें आत्मचिंतन के लिए मजबूर कर दिया है। भाजपा के बड़े नामभारी भरकम पद, सोशल मीडिया, राज्यमंत्रियों, विधायकों, काशी क्षेत्र पदाधिकारियों के फौज की व्यूह रचना को धता बताते हुए समाजवादी पार्टी के स्नातक उम्मीदवार छात्रनेता आशुतोष सिन्हा और उनकी टीम ने बेहतर चुनावी प्रबंधन, मतदाताओं से सीधा संवाद,वर्ष भर से अधिक समय तक लगातार उनके बीच पैठ बनाकर बड़ी लकीर खींच दी है। इसका नजारा मतगणना में भी दिखा। स्नातक चुनाव में पहले राउंड से लेकर 22वें राउंड तक सपा प्रत्याशी का ही दबदबा दिखा। भाजपा के प्रत्याशी से उन्होंने लगातार बढ़त बना रखा था। स्नातक चुनाव में सफलता के पर्याय माने जाने वाले भाजपा के निवर्तमान एमएलसी केदारनाथ सिंह का जादू कही नहीं दिखा। छात्र राजनीति के जानकार अधिवक्ता राजन राय का मानना है कि स्नातक चुनाव में भाजपा प्रत्याशी की हार का बड़ा कारण है पूर्वांचल के विभिन्न जिलों में युवाओं की बेरोजगारी, युवाओं से संवादहीनता है। कोरोना काल में पूर्वांचल के युवाओं का रोजगार छिन गया। बेरोजगारी बढ़ती चली गई। सरकार और निवर्तमान एमएलसी इसको लेकर मुखर नहीं रहे। विधान परिषद के सत्र में भी उनकी आवाज नहीं गूंजती दिखी। ऐसे में शिक्षित युवाओं ने बदलाव को तवज्जों दिया। आशुतोष की सहजता और सौम्य व्यवहार भी मददगार रही। छात्रनेता विकास सिंह कहते हैं कि भाजपा के नेता और पदाधिकारी ज्यादातर सोशल मीडिया में ही दिखते हैं। हर चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के व्यक्तित्व पर निर्भर रहते है। क्षेत्र के युवाओं से संवादहीनता जातिगत प्रेम से आगे कुछ सोच ही नहीं पाते। रोजगार और विकास को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसी सोच तो दूर की बात है। एमएलसी चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सक्रियता नहीं दिखाई, तो नतीजा भी सामने है। छात्रनेता ने कहा कि ये चुनाव प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी बड़ी भूमिका निभायेगा। जानकार बताते हैं कि भाजपा के समीकरण को बिगाड़ने में कुछ जातियों का गोलबंद होना भी है। युवा आशुतोष के संवाद के दम पर आठों जिलों में कायस्थ समाज के युवाओं ने झूमकर मतदान किया। इसमें भाजपा, कांग्रेस के मतदाता भी शामिल हैं। सपा के परम्परागत मत भी प्रत्याशी के समर्थन में पड़े। हिन्दुस्थान समाचार/-hindusthansamachar.in

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