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उर्दूनामा: सुनिए उर्दू में लिखी गई ‘फेमिनिस्ट शायरी’
हमारा अलमिया ये है की अपनी राह की दीवार हम खुद ही हैं ये औरत है की जो औरत के हक़ में अब भी गूंगी है ये औरत है ये पंक्तियां हैं उर्दू में शायरी करने वाली इशरत आफरीन की नज़्म 'अगले जन्म मोहे बिटिया ही कीजो' से. इन लाइनों क्लिक »-hindi.thequint.com