आर्किटेक्चर छात्र तीन साल बाद 'उपयुक्त डिग्री’ के साथ छोड़ सकेंगे कोर्स : वास्तुकला परिषद
आर्किटेक्चर छात्र तीन साल बाद 'उपयुक्त डिग्री’ के साथ छोड़ सकेंगे कोर्स : वास्तुकला परिषद

आर्किटेक्चर छात्र तीन साल बाद 'उपयुक्त डिग्री’ के साथ छोड़ सकेंगे कोर्स : वास्तुकला परिषद

नई दिल्ली, 11 अगस्त (हि.स.)। केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 घोषित करने के बाद अब वास्तुकला परिषद (सीओए) ने भी नियमों में ढिलाई देते हुए बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर (बीआर्क) के छात्रों को तीन साल बाद 'उपयुक्त डिग्री’ के साथ कोर्स छोड़ने का विकल्प दे दिया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखिरियाल निशंक ने मंगलवार को वास्तु कला परिषद द्वारा प्रस्तुत वास्तुकला शिक्षा के न्यूनतक मानक विनियम 2020 का ऑनलाइन कार्यक्रम में जारी किया। वास्तुकला पाठ्यक्रम 5-वर्षीय डिग्री कार्यक्रम हैं, लेकिन अक्सर छात्रों को बीच में एहसास होता है कि उनकी आकांक्षाएं क्षेत्र के साथ मेल नहीं खाती हैं या फिर उन्हें कहीं और अवसर मिलते हैं। ऐसे छात्र अब 3 साल का आर्किटेक्चर कोर्स पूरा करने के बाद उपयुक्त डिग्री प्राप्त कर बाहर निकलने सकते हैं। पोखिरियाल ने वास्तुकला विद्यालयों के प्रमुखों तथा विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे भारतीय वास्तुकला को समृद्ध बनाने के लिए भरसक प्रयत्न करें। उन्होंने याद दिलाया कि भारतीय वास्तुकला पद्धति हजारों लाखों साल पुरानी है। सिंधु घाटी सभ्यता, हडप्पा मोहन जोदारो से लेकर आज तक भारतीय भवन निर्माण प्रणाली न केवल वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है बल्कि अपने आप में एक विशिष्ट कला है। उन्होंने वास्तुकला परिषद के प्रयत्नों की भी सराहना की और कहा कि उनका मंत्रालय वास्तुकला परिषद के कार्यों कि लिए हर संभव सहायता करेगा। उन्होंने कहा कि वास्तुविद् अधिनियम 1972 में यदि कोई संशोधन करने हैं तो वास्तुकला परिषद ऐसे सुझाव मंत्रालय को भेजे। अंत में उन्होेंने नई शिक्षा नीति का भी उल्लेख किया तथा नये नियमों के लागू होने की सभी को बधाई दी। वास्तुकला परिषद के अध्यक्ष हबीब खान ने कहा कि वास्तुकला परिषद वास्तुविद् अधिनियम 1972 के अधीन स्थापित की गई है तथा यह वास्तुशिक्षा के न्यूनतक मानकों तथा वास्तुविद् व्यवसाय के मानकों का निर्धारण और निगरानी करती है । वास्तुकला परिषद पूरे देश के वास्तुविदों का पंजीकरण भी करती है। उन्होंने कहा कि नये नियम 1983 में बने नियमों को बदल रहे हैं तथा वास्तुकला शिक्षा को एक नई दिशा की ओर ले जायेंगे। इन नियमों में विद्यार्थी अपनी रूचि के विषय पढ सकेंगे तथा पाठयक्रम की विषय वस्तु को वर्तमान समय के लिए प्रासंगिक बनाया गया है ताकि भारतीय वास्तुविद् अंतरराष्ट्रीय स्तर की सेवायें दे सकें। हिन्दुस्थान समाचार/सुशील-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in