अर्णव की गिरफ्तारी पर कोलकाता के पत्रकारों की कडी प्रतिक्रिया, कहा राजनीति से प्रेरित है कार्रवाई
अर्णव की गिरफ्तारी पर कोलकाता के पत्रकारों की कडी प्रतिक्रिया, कहा राजनीति से प्रेरित है कार्रवाई

अर्णव की गिरफ्तारी पर कोलकाता के पत्रकारों की कडी प्रतिक्रिया, कहा राजनीति से प्रेरित है कार्रवाई

कोलकाता, 04 नवंबर (हि.स.)। रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णव गोस्वामी को मुंबई में महाराष्ट्र सीआईडी द्वारा गिरफ्तार करने और घसीटते हुए ले जाने की घटना की कोलकाता के पत्रकार जगत ने कडी निंदा की है। 2018 में एक व्यक्ति को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में अर्णव की गिरफ्तारी को राजनीति से प्रेरित बताते हुए इसे मीडिया पर सेंसरशिप की कोशिश बताया गया है। महाराष्ट्र सरकार की इस कार्रवाई के बारे में हमने कोलकाता के कछ वरिष्ठ पत्रकारों एवं संपादकों से बात की। ----- स्वपन दासगुप्ता, वरिष्ठ पत्रकार एवं राज्यसभा सांसद गोस्वामी की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए वरिष्ठ स्तंभकार और भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद स्वपन दासगुप्ता ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार की इस कार्रवाई से अर्णव गोस्वामी ना तो कमजोर होंगे और ना ही खामोश, बल्कि वह और अधिक मुखर तरीके से महाराष्ट्र सरकार की नाकामियों को उजागर करेंगे। शिवसेना और कांग्रेस को निश्चित तौर पर इसके लिए शर्मिंदगी उठानी पड़ेगी। --- रंतिदेव सेनगुप्ता, पूर्व संपादक करीब साढ़े तीन दशक तक बांग्ला अखबार के लिए पत्रकारिता करने वाले और वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी की राज्य कमेटी सदस्य रंतिदेव सेनगुप्ता ने कहा है कि गोस्वामी की गिरफ्तारी पर बिल्कुल सोचे समझे तरीके से सेकुलर, वामपंथी, नेहरूपंथी, तृणमूलपंथी बुद्धिजीवियों ने मुंह बंद कर लिया है। अगर ऐसे लोग मीडिया की स्वाधीनता पर कुछ भी कहते हैं तो इन्हें नकारने की जरूरत है। गोस्वामी के खिलाफ कार्रवाई को लेकर हमें आंदोलन करना ही होगा। --- आनंद पांडे, वरिष्ठ संवाददाता -इस बारे में पूछने पर विश्व संवाद केंद्र के प्रभारी और वरिष्ठ पत्रकार आनंद पांडे ने कहा कि अर्णव गोस्वामी के खिलाफ की गई कार्रवाई पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार की कोशिश है कि जो भी सरकार के खिलाफ बोलते हैं उन्हें डराया धमकाया जाए और उनके खिलाफ सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल कर परेशान किया जाए। मशहूर चित्रकार एमएफ हुसैन का जिक्र करते हुए आनंद पांडे ने कहा कि जब विवादित पेंटिंग बनाने की वजह से हुसैन की गिरफ्तारी हुई थी तो कला, साहित्य, फिल्म हर एक क्षेत्र से जुड़े लोगों ने देशभर में विरोध प्रदर्शन किया था। तब कांग्रेस ने भी इसे लेकर खूब हो हल्ला मचाई थी। लेकिन अब जबकि अर्णव गोस्वामी की गिरफ्तारी हुई है तो सारे तथाकथित बुद्धिजीवी जमात चुप हैं। यह सिलेक्टिव क्रांति करने वाले लोग समाज को गलत दिशा में ले जा रहे हैं। डॉक्टर पांडे ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार को तत्काल अर्णव गोस्वामी को रिहा करना चाहिए और अगर किसी आपराधिक मामले में उनकी संलिप्तता भी है तो पहले अदालत की अनुमति लेनी चाहिए उसी उसी के निर्देशानुसार कार्रवाई करनी चाहिए। -- विश्वम्भर नेवर, सम्पादक दैनिक अखबार और समाचार चैनल के समूह संपादक और भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य विश्वम्भर नेवर ने हालांकि गोस्वामी की गिरफ्तारी को प्रेस की आजादी पर हमला मानने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि गोस्वामी की गिरफ्तारी किसी रिपोर्टिंग या मीडिया संबंधित कार्यक्रम की वजह से नहीं हुई है। इसलिए इसे प्रेस की आजादी पर हमला कहना गलत होगा। हालांकि उनसे जब पूछा गया कि पुलिस ने गोस्वामी को गिरफ्तार करते समय पुलिस ने धक्का-मुक्की की, यह कितना सही है, तब विश्वंभर ने कहा कि अगर पुलिस ने उनके साथ धक्का-मुक्की की है तो यह गलत है। उन्होंने कहा कि देश भर की पुलिस ऐसा करती है। यह निश्चित तौर पर सही नहीं है। ----- प्रदीप शुक्ला, संपादक, कोलकाता के सबसे पुराने हिन्दी दैनिक के संपादक प्रदीप शुक्ला ने हिन्दुस्थान समाचार से विशेष बातचीत में बताया कि अर्णव की गिरफ्तारी पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। उन्हें जिस तरीके से गिरफ्तार किया गया वह प्रेस की आजादी पर हमला है। निश्चित तौर पर महाराष्ट्र सरकार को ऐसा करने से बाज आना चाहिए। उन्होंने पूरी कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि सरकार की आलोचना करने वालों के खिलाफ कार्रवाई प्रेस की स्वतंत्रता का हनन है और यह बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। --- संतोष सिंह, संपादक गोस्वामी की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए एक अन्य हिंदी दैनिक के संपादक संतोष सिंह ने कहा कि उन्होंने कहा कि सरकार में शामिल लोगों की यह मानसिकता बन गई है कि जो मीडिया से जुड़े लोग हैं वे उनका गुणगान करें। जो ऐसा नहीं करते हैं उनके खिलाफ सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल होता है। महाराष्ट्र की सरकार ने भी वही किया है। यह निश्चित तौर पर प्रेस की आजादी का हनन है और पूरी कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है। संतोष सिंह ने कहा कि अर्णव गोस्वामी का पालन पोषण सैनिक परिवार में हुआ है। उनके पिता सेना में अधिकारी थे इसलिए उनकी विचारधारा राष्ट्रवाद से प्रेरित है। वह राष्ट्रवाद को केंद्र में रखकर ही अपनी पत्रकारिता करते हैं। अपनी बातें रखने का उनका तरीका चाहे जैसा भी हो लेकिन वे भारत के प्रतिष्ठित पत्रकारों में से एक हैं। उनके खिलाफ जिस तरह की कार्रवाई देखने को मिली है वह शर्मनाक है और इसकी निंदा की जानी चाहिए। हिन्दुस्थान समाचार / ओम प्रकाश/मधुप-hindusthansamachar.in

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