अर्जुन अवार्डी प्रशांत कर्माकर ने निलंबन के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी
अर्जुन अवार्डी प्रशांत कर्माकर ने निलंबन के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी

अर्जुन अवार्डी प्रशांत कर्माकर ने निलंबन के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी

नई दिल्ली, 21 सितम्बर (हि.स.)। अर्जुन अवार्डी और पैरा स्वीमर प्रशांत कर्माकर ने पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया (पीसीआई) की ओर से तीन साल तक निलंबित करने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि पैरालंपिक कमेटी की अनुशासन समिति को ये अधिकार नहीं है कि कर्माकर को निलंबित करे। हाईकोर्ट इस याचिका पर 23 सितंबर को सुनवाई करेगा। याचिकाकर्ता की ओर से सत्यम सिंह राजपूत और अमित कुमार शर्मा ने कहा है कि प्रशांत कर्माकर ने 44 अंतर्राष्ट्रीय और 74 राष्ट्रीय मेडल जीते हैं। कर्माकर एक प्रशिक्षित कोच हैं जिन्होंने रियो पैरालंपिक 2016 में भारत का कोच के रुप में प्रतिनिधित्व किया था। पीसीआई ने 7 फरवरी 2018 को कर्माकर को तीन साल के लिए निलंबित करते हुए स्वीमिंग के किसी भी इवेंट में भाग लेने पर रोक लगा दिया था। याचिका में कहा गया है कि पीसीआई का ये फैसला मनमाना और गैरकानूनी है। याचिका में कहा गया है कि पीसीआई ने कर्माकर के खिलाफ बेबुनियाद और झूठे आरोप लगाकर कार्रवाई की है। याचिका में कहा गया है कि कर्माकर ने पीसीआई में आर्थिक गड़बड़ियों, भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन को सामने लाने की कोशिश की जिसकी सजा के तौर पर उनके खिलाफ प्रतिबंध लगाया गया। पीसीआई की अनुशासनात्मक कमेटी ने नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का पालन नहीं किया और साक्ष्यों पर गौर नहीं किया। अनुशासनात्मक कमेटी ने शिकायतकर्ता के क्रास-एग्जामिनेशन की अनुमति भी नहीं दी और सरसरी तौर पर कर्माकर को दोषी करार दिया। यहां तक कि कर्माकर को शिकायत की प्रति तब दी गई जब सारी अनुशासनात्मक प्रक्रिया पूरी हो गई। याचिका में बिना चुनाव हुए पैरालंपिक स्वीमिंग ऑफ पीसीआई के चेयरमैन के पद पर वीके डबास के बने रहने पर सवाल उठाया गया है। याचिका में कहा गया है कि वीके डबास कैसे स्वयं को कोच के पद पर नियुक्त कर सकते हैं। इस सबके खिलाफ आवाज उठाने को सकारात्मक तौर पर नहीं लिया गया और अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए कर्माकर के खिलाफ कार्रवाई की गई। हिन्दुस्थान समाचार/संजय/सुनीत-hindusthansamachar.in

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