अब पाली सांसद भी हुए ब्यूरोक्रेसी की कार्यशैली से खफा
अब पाली सांसद भी हुए ब्यूरोक्रेसी की कार्यशैली से खफा

अब पाली सांसद भी हुए ब्यूरोक्रेसी की कार्यशैली से खफा

रोहित पारीक जयपुर, 27 अगस्त (हि.स.)। राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस नीत गहलोत सरकार में भाजपा सांसदों के काम नहीं हो पा रहे हैं और न ही ब्यूरोक्रेसी उनकी बातों को तवज्जो दे रही है। एनडीए प्रथम में विधि मंत्री रहे पाली सांसद पीपी चौधरी ने ऐसे ही आरोप लगाते हुए मुख्य सचिव राजीव स्वरूप का ध्यान इस तरफ आकृष्ट किया है। इसके लिए उन्होंने मुख्य सचिव को एक पत्र भी लिखा है। पत्र में उन्होंने नाराजगी भरे लहजे में ऐतराज जताते हुए लिखा है कि अगर अफसरशाही का रवैया नहीं सुधरा तो उन्हें प्रोटोकॉल का पालन नहीं होने को लेकर संसदीय समिति की शरण में जाना पड़ेगा। सांसद ने मुख्य सचिव को लिखे पत्र में बताया है कि उनके संसदीय क्षेत्र के दोनों जिलों पाली और जोधपुर के अधिकारी सांसद के प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहे हैं। शिलान्यास व उद्घाटन समारोह में छपने वाले बैनर, पोस्टर और शिलालेखों से या तो सांसद का नाम गायब कर दिया जाता है या वरीयता क्रम में नाम नीचे लिख दिया जाता है। अखबारों और टीवी विज्ञापनों में सांसदों की जगह अधिकारियों का नाम और फोटो छप रहे हैं, जबकि इस संदर्भ में भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय की स्पष्ट गाइडलाइन है कि प्रोटोकॉल के अनुसार ही सांसदों को जगह मिलनी चाहिए। चौधरी ने केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय की दिसंबर 2011 की उस गाइडलाइन का हवाला देते हुए सर्कुलर की कॉपी भी पत्र के साथ भेजी है, जिसमें सांसदों के अधिकारों, प्रोटोकॉल और प्रीविलेज के बारे में विस्तार से बताया गया है। चौधरी ने सर्कुलर का हवाला देते हुए लिखा है कि नियमानुसार अधिकारियों को सांसदों के टेलिफोनिक संदेश या जनहित के कामों को लेकर कही गई बातों की अवहेलना नहीं करनी चाहिए, लेकिन उनके संसदीय क्षेत्र के दोनों जिलों पाली और जोधपुर में अधिकारियों को बार-बार कहने के बावजूद लगातार ऐसा किया जा रहा है। सांसदों और प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी के बीच यह दूसरा मौका है जब दोनों के बीच सीधा टकराव दिखा है। सांसद पीपी चौधरी ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि सीएस के समक्ष दर्ज कराई गई शिकायत वॉयलेशन ऑफ प्रोटोकॉल को लेकर है। यह प्रक्रिया है कि संसदीय क्षेत्र में हो रहे किसी भी सरकारी कार्यक्रम के लिए सांसद को आमंत्रित किया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। इससे पहले नवंबर 2019 में बाड़मेर जिले के बायतु इलाके में केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी और सांसद हनुमान बेनीवाल के काफिले पर हुए हमले के बाद एफआईआर दर्ज नहीं करने को लेकर बेनीवाल ब्यूरोक्रेसी को संसद की कमेटी तक घसीट चुके हैं। इस मामले में प्रदेश के डीजीपी और मुख्य सचिव दो बार प्रीविलेज कमेटी के सामने पेश हो चुके हैं। पिछले महीने सिरोही में कोरोना लेबोरेट्री के उद्घाटन में सांसद देवजी पटेल को नहीं बुलाए जाने को लेकर अधिकारियों और सांसद पटेल के बीच टकराव दिखा था। इसके बाद सांसद देवजी पटेल ने प्रभारी मंत्री की मौजूदगी में अधिकारियों को फटकार लगाई थी। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में लोकसभा की 25 में से 24 सीटों पर भाजपा के सांसद हैं, वहीं नागौर में बीजेपी की सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल सांसद हैं। हिन्दुस्थान समाचार-hindusthansamachar.in

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