अब डीबीओ-डेप्सांग में तैनात होगी सेना की ऊंट ब्रिगेड
अब डीबीओ-डेप्सांग में तैनात होगी सेना की ऊंट ब्रिगेड

अब डीबीओ-डेप्सांग में तैनात होगी सेना की ऊंट ब्रिगेड

- डोकलाम विवाद के समय से लंबित यह योजना अब उतरेगी जमीन पर - डेप्सांग इलाके में भारत-चीन ने बढ़ाई सैनिकों और टैंकों की तैनाती नई दिल्ली, 19 सितम्बर (हि.स.)। भारत और चीन के बीच 16 हजार 400 फीट से अधिक ऊंचाई पर 972 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का डेप्सांग मैदानी इलाका विवाद का बड़ा मुद्दा बना हुआ है। इसीलिए यहां दोनों ही देशों ने अपनी उपस्थिति बढ़ाई है। यहां से चीन के कब्जे वाला अक्साई चिन महज 7 किमी. दूर है। दरअसल यहां चीन अपनी सेना की तैनाती करके डेप्सांग घाटी, अक्साई चिन और दौलत बेग ओल्डी पर एक साथ नजर रख रहा है। भारतीय सेना ने ऊंचाई वाले इस इलाके में दो-कूबड़ वाले बैक्ट्रियन कैमल (ऊंट) की तैनाती करने का फैसला लिया है। डोकलाम विवाद के समय से लंबित यह योजना अब चीन के साथ ज्यादा टकराव बढ़ने पर जमीन पर उतारी जा रही है। डेप्सांग का मैदानी इलाका भारत के सब सेक्टर नॉर्थ (एसएसएन) के अंतर्गत आता है। यह क्षेत्र एक तरफ सियाचिन ग्लेशियर तो दूसरी ओर चीनी नियंत्रित अक्साई चिन के बीच सैंडविच है। इसी विवादित क्षेत्र में 2013 और 2015 में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच दो बड़े गतिरोध हो चुके हैं। 2013 में दोनों देशों की सेनाएं 73 दिनों तक आमने-सामने रही थीं। इसके बाद भी अक्सर दोनों पक्ष आमने-सामने आते हैं लेकिन अब तक मामूली झड़प तक ही विवाद सीमित रहा है। डेप्सांग मैदानों का महत्व इसकी भौगोलिक स्थिति है। जानकार भी मानते हैं कि चीन के लिए पैन्गोंग एरिया सिर्फ एक स्मोक स्क्रीन है लेकिन उसका मुख्य लक्ष्य डेप्सांग है। पूर्वी लद्दाख की सीमा एलएसी पर भारत की अंतिम चौकी दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) के पास चीन ने करीब 50 हजार सैनिकों और टी-90 रेजिमेंट की तैनाती की है। इसके जवाब में भारतीय सेना ने स्पाइक-एलआर और मिलन 2 टी एटीजीएम के साथ तैनात किया है। शुक्रवार को चाइना स्टडी ग्रुप की बैठक में भी पूर्वी लद्दाख और अत्यधिक ऊंचाई वाले अन्य संवेदनशील सेक्टरों के अग्रिम इलाकों में बलों और हथियारों का मौजूदा स्तर बनाए रखने के लिए आवश्यक प्रबंधों पर भी विचार-विमर्श किया गया। अब भारत ने बैक्ट्रियन कैमल को दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) और डेप्सांग में तैनात करने का फैसला लिया है क्योंकि यहां तकरीबन 17 हजार फीट की ऊंचाई पर सेना के लिए पेट्रोलिंग का काम काफी दु्ष्कर माना जाता है। लेह-लद्दाख में मौसम के लिहाज से बैक्ट्रियन कैमल ज्यादा कारगर हैं। ये ऊंट 170 किलो तक वजन लेकर 17 हजार फीट की ऊंचाई तक चढ़ सकते हैं और बिना पानी के भी 72 घंटे तक जीवित रह सकते हैं। अधिकारियों ने बताया कि बैक्ट्रियन कैमल का ट्रायल दौलत बेग ओल्डी में पहले ही किया जा चुका है। ब्रैक्ट्रियन कैमल को सेना में शामिल करने का प्रोजेक्ट 2016 में डोकलाम घटना के बाद रक्षा मंत्रालय में आगे बढ़ाया गया था। अब पूर्वी लद्दाख में डीबीओ और डेप्सांग में तनाव के चलते भारत और चीन की सेनाएं कई महीने से अग्रिम मोर्चे पर डटी हैं। इसीलिए अब भारतीय सेना ने यहां ऊंट ब्रिगेड को तैनात करने की तैयारी लगभग पूरी कर ली है। सेना के काम के लिए दो कूबड़ वाले बैक्ट्रियन ऊंट ज्यादा कारगर हैं। फिलहाल सेना डीबीओ और डेप्सांग में 50 बैक्ट्रियन कैमल को तैनात करने जा रही है। हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in