Year 2020: NGT takes several steps to curb exploitation of environment as well as ground water
Year 2020: NGT takes several steps to curb exploitation of environment as well as ground water

वर्ष 2020ः एनजीटी ने पर्यावरण के साथ ही भूमिगत जल दोहन पर रोक के लिए उठाये कई कदम

नई दिल्ली, 30 दिसम्बर (हि.स.)। साल 2020 में कोरोना संकट के बावजूद नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने वायु और जल प्रदूषण के अलावा गैस लीक और वनों के संरक्षण से लेकर नदियों में अवैध रुप से खनन और भूमिगत जल के दोहन को रोकने के लिए कई कदम उठाए। इस साल एनजीटी ने अपनी स्थापना के दस साल पूरे किए। एनजीटी ने इस साल नवंबर तक 5073 मामलों पर सुनवाई की जिनमें 2372 मामलों का निपटारा किया। कोरोना संकट को देखते हुए एनजीटी में आनलाईन केसों की फाइलिंग हुई। आनलाईन फाइलिंग सिस्टम एनजीटी में पहले से ही प्रचलन में है। एनजीटी ने न्यायिक प्रक्रिया को आसान करने के लिए जमीन हकीकत जानने के लिए एनजीटी ने 13 अस्थायी मानिटरिंग कमिटियों का गठन किया। लॉकडाउन लगाए जाने से पहले 15 राज्यों और तीन केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों ने 122 शहरों में कचरा प्रबंधन, सीवेज ट्रीटमेंट और ट्रीटेड पानी के उपयोग, वायु गुणवत्ता प्रबंधन, नदियों में प्रदूषण और रेत खनन के रेगुलेशन को लेकर एनजीटी की ओर से आयोजित चैम्बर बैठकों में हिस्सा लिया। नवंबर महीने में एनजीटी ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे सभी जल निकायों के संरक्षण के लिए एक नोडल एजेंसी का गठन करें। एनजीटी ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों की अध्यक्षता में बनी इस कमेटियों को 31 जनवरी 2021 तक बैठक कर जल निकायों के संरक्षण के लिए जिला और पंचायत अधिकारियों को निर्देश जारी करने का निर्देश दिया। इस साल एनजीटी ने वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को देखते हुए पिचले 9 नवंबर से 30 नवंबर तक दिल्ली एनसीआर समेत उन शहरों में पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगा दिया था जहां वायु प्रदूषण की स्थिति खराब थी। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कोरोना संकट के दौरान एनसीआर के सभी शहरों में पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगा दी। साथ ही देश के उन शहरों में भी पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगा दी है जहां की वायु गुणवत्ता की श्रेणी खराब या उससे भी ऊपर की हो। वायु प्रदूषण से निपटने के लिए इस वर्ष एनजीटी ने दिल्ली एनसीआर के नगर निगमों और स्थानीय निकायों को निर्देश दिया था कि वो सड़कों पर झाड़ू लगाने से पहले ट्रीटेड पानी का छिड़काव करें। एनजीटी ने नगर निगमों को निर्देश दिया कि वो सड़कों के किनारे पौधे लगाएं। इस साल एनजीटी ने विशाखापतनम में एलजी पालीमर्स इंडस्ट्री से स्टाइरीन गैस के लीक होने के मामले और असम के तिनसुकिया जिले में बागजान स्थित तेल के कुएं में लगी आग, तमिलनाडु के नेवेली लिग्नाइट पालर प्लांट के बॉयलर में हुए विस्फोट के मामले पर संज्ञान लेते हुए जुर्माना लगाया था। एनजीटी ने इस साल यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों की नदियों में पर्यावरण संरक्षण की चिंता किए बिना निर्बाध रूप से रेत का खनन किया जा रहा है। एनजीटी ने आदेश दिया कि इस तरह की परियोजनाओं को खनन योजना के मुताबिक अंजाम दिया जाए। इस साल एनजीटी ने उत्तर प्रदेश के मेरठ, शामली और मुजफ्फरनगर जिलों में अवैध रुप से चल रहे ईंट भट्टों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया। एनजीटी ने ईंट भट्टों से निकलनेवाले प्रदूषण को कम करने के लिए (टेढ़े) तकनीक का इस्तेमाल करने का आदेश दिया। एनजीटी ने गंगा, यमुना, महानदी समेत दूसरी नदियों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण आदेश पारित किए।एनजीटी ने यमुना के मैदानी भागों की सुरक्षा के लिए डीडीए को कदम उठाने का आदेश दिया था।एनजीटी ने राजस्थान में मौसमी नदी बांदी और खुले में अनट्रिटेड कचरा डालने पर कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) के संचालकों पर लगाए गए दस करोड़ रुपये का जुर्माने लगाया था। एनजीटी ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे सभी जल निकायों के संरक्षण के लिए एक नोडल एजेंसी का गठन करें। इस साल एनजीटी ने खतरनाक पदार्थों से जुड़े कार्यों में होने वाली दुर्घटनाओं के पीड़ितों की मदद के लिए पर्यावरण राहत कोष से संबंधित 800 करोड़ रुपये का उपयोग नहीं होने पर पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को आड़े-हाथों लिया था यह आदेश दिया था कि डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के जरिये मुआवजा तत्काल उपलब्ध कराया जाए। इस साल की शुरुआत में एनजीटी ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को निर्देश दिया था कि वो नोटिफिकेशन जारी कर उन स्थानों पर रिवर्स ऑस्मोसिस सिस्टम (आरओ) पर रोक लगाए जहां के पानी में टीडीएस की मात्रा प्रति लीटर पांच सौ मिलीग्राम से कम है। एनजीटी ने कहा था कि आरओ से संबंधित उसके आदेश के अनुपालन में हो रही देरी की वजह से लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है। हिन्दुस्थान समाचार/संजय/सुनीत-hindusthansamachar.in

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