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जगत कल्याण और शांति के लिए हो रहा विश्वशांति महायज्ञः विजयेंद्र सरस्वती

नई दिल्ली, 02 अप्रैल (हि.स.)। देश समेत विश्व में जानलेवा बीमारी के रूप में फैले कोरोना वायरस की समाप्ति और समूचे विश्व के कल्याण के लिए विश्व हिन्दू परिषद (विहिप), अशोक सिंघल फाउंडेशन के साथ नमो सद्भावना समिति विश्व शांति महायज्ञ का आयोजन किया है। यहां आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मंदिर छतरपुर में आयोजित इस महायज्ञ का उद्देश्य विश्व शांति और समूचे जगत के कल्याण के लिए प्रार्थना करना है। कांची कामकोटि मठ के जगद्गुरू एचएच शंकरा विजयेंद्र सरस्वती महास्वामीजी के मार्गदर्शन में यह महायज्ञ किया जा रहा है। होली के दिन शुरू छह दिवसीय इस महायज्ञ में सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय कोविड-19 मानदंडों और दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए, मंदिर परिसर में सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय कदम उठाए गए हैं। जगद्गुरु एचएच शंकरा विजयेंद्र सरस्वती ने बताया कि देश में जब भी कोई आपदा आती है, तो उसको दूर करने के लिए भगवान को याद किया जाता है। इसी तरह कोरोना महामारी को भी भगवान को याद कर के भगाया जा सकता है। शंकरा विजयेंद्र सरस्वती जी ने यज्ञ के बारे में बताया कि प्रकृति ही हमें सभी बीमारियों से लड़ने की ताकत देती है। प्रकृति के माध्यम से ही बड़ी से बड़ी बीमारियों पर काबू पाया जा सका है। उन्होंने कहा कि दुनिया आज अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रही है, मुख्य रूप से कोविड महामारी बड़ी चुनौती बन कर सामने आई है। उन्होंने कहा कि हम अपने प्राचीन ज्ञान, संस्कारों और यज्ञों के माध्यम से विश्व शांति एवं समृद्धि को प्रभावित करने के लिए प्रकृति का आह्वान करने की क्षमता में विश्वास करते हैं । इस विश्वशांति महायज्ञ के माध्यम से प्रकृति का आह्वान किया जा रहा है। ताकि प्रकृति इस बीमारी पर काबू कर विश्व शांति और मानव जीवन का कल्याण कर सके। यह महायज्ञ प्रकृति की पीड़ा को कम करने, मानसिक तनाव को दूर करने, दुनिया भर में सभी जीवित प्राणियों के लिए शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने का काम करेगी। विजयेन्द्र सरस्वती ने कहा कि विश्वशांति महायज्ञ का आयोजन 3 अप्रैल तक चलेगा। उन्होंने बताया कि भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद जगत के प्रणेता तथा वैद्यक शास्त्र के देवता माने जाते हैं। इस महायज्ञ में धन्वतरि भगवान को भी आहूति दी जा रही है ताकि लोगों का कल्याण हो सके। हिन्दुस्थान समाचार/अजीत

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