women-of-sagar-realizing-the-message-of-opportunity-in-disaster-in-madhya-pradesh
women-of-sagar-realizing-the-message-of-opportunity-in-disaster-in-madhya-pradesh

मध्य प्रदेश में आपदा में अवसर के संदेश को साकार करती सागर की महिलाएं

सागर, 6 सितम्बर (आईएएनएस)। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आपदा में अवसर के वक्तव्य को मध्य प्रदेश के सागर जिले की महिलाओं ने आत्मसात किया है। ये महिलाएं गोबर और मिटटी से भगवान गणेश प्रतिमाएं बना रही है। इससे पहले रक्षाबंधन के मौके पर इन महिलाओं ने मेहंदी की कोन बनाकर बेचे थे। सागर जिले में शाहगढ़ विकासखंड की ग्राम बरायठा में गौशाला संचालक समूह रामराजा सहायता समूह की महिलाओं ने प्रधानमंत्री के वक्तव्य को साकार करते हुए आपदा में अवसर को तलाशा है। पहले रक्षाबंधन के समय मेहंदी कोन बनाए और अब आने वाले गणेश उत्सव की तैयारी मे जुट गई है। महिलाएं गोबर और मिट्टी को मिलाकर सांचे में ढालकर गणेश प्रतिमाओं का निर्माण करने लगी है । इनके द्वारा निर्मित की जाने वाली यह प्रतिमाएं इको फ्रेंडली है इसमें किसी भी प्रकार के पर्यावरण केा नुकसान पहुॅचाने वाले केमिकल रंग का इस्तेमाल नहीं कर रही है । समूह की अध्यक्ष रजनी पटेल ने बताया कि हम समूह की आठ नौ महिलाएं गणेश प्रतिमाएं तैयार कर रहे हैं। यह प्रतिमाएं गणेश उत्सव प्रारंभ होते ही बिक्री के लिए रख दी जावेगी । इस तरह के प्रयोग से गौशालाओं को अतिरिक्त आमदनी बढेगी, साथ ही गौषालाओं केा अन्य व्यवसाय से भी जोड़ा जा रहा है है, उसी क्रम में इन महिलाओं ने यह नया कदम उठाया है । जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉक्टर इच्छित गढ़पाले का कहना है कि गौशाला समूह निष्ठा पूर्वक तत्परता से अपने काम को गौ सेवा के दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। इन समूहों ने यह नया काम शुरू कर समूह की अन्य बहनों को भी रोजगार दिया है । कलेक्टर दीपक सिंह का कहना है कि महिलाओं ने इस आयाम में काम शुरू कर अवसर को पहचानने की क्षमता का का परिचय दिया है। मुझे उम्मीद है कि यह महिलाएं जो कल तक मजदूर कहलाती हैं, अब मालिकाना हक की दिशा में आगे बढ़ना प्रारंभ कर चुकी हैं । जिला परियोजना प्रबंधक हरीश दुबे ने बताया कि आजीविका समूह की महिलाएं जिले में गौशाला संचालन का कार्य कर रहे हैं, जहां निराश्रित गौवंश की वे भली-भांति देखभाल कर रही हैं, वही आय के नए रास्ते भी खोज रही है। --आईएएनएस एसपीएन/आरजेएस

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in