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महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने किशोर संशोधन विधेयक को लेकर मांगे सुझाव

नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (आईएएनएस)। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन विधेयक 2021, खामियों को दुरुस्त करने के लिए सुझाव मांगे हैं। गौरतलब है कि किशोर न्याय अधिनियम में 2015 में ही संशोधन करना था। फिलहाल केंद्र की मोदी सरकार ने इस साल 24 मार्च को बजट सत्र में यह विधेयक लोकसभा में पेश किया था। जिसमें सुझाव के बाद संशोधन किये जाएंगे। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने व्यवस्था में व्याप्त खामियों को ध्यान में रखते हुए संवेदनशील बच्चों की देखभाल और सुरक्षा की जिम्मेदारी जिलाधिकारियों को सौंपने की आवश्यकता पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय देश के बच्चों को बाकी सभी मुद्दों पर प्राथमिकता देने के लिए संसद प्रतिबद्ध है। संशोधनों में अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट सहित जिला मजिस्ट्रेट को किशोर न्याय अधिनियम की धारा 61 के तहत गोद लेने संबंधी आदेश जारी करने के लिए अधिकृत किया गया है। ताकि मामलों का त्वरित निपटान सुनिश्चित किया जा सके और जवाबदेही बढ़ाई जा सके। अधिनियम के तहत जिलाधिकारियों को इसके सुचारू कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के साथ-साथ संकट की स्थिति में बच्चों के पक्ष में समन्वित प्रयास करने के लिए और अधिक अधिकार दिए गए हैं। अधिनियम के संशोधित प्रावधानों के अनुसार, किसी भी बाल देखभाल संस्थान को जिला मजिस्ट्रेट की सिफारिशों पर विचार करने के बाद पंजीकृत किया जाएगा। जिला मजिस्ट्रेट स्वतंत्र रूप से जिला बाल संरक्षण इकाइयों, बाल कल्याण समितियों, किशोर न्याय बोडरें, विशेषीकृत किशोर पुलिस इकाइयों, बाल देखभाल संस्थानों आदि के कामकाज का मूल्यांकन करेंगे। गौरतलब कि कानून में इस संशोधन के बाद देश में बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया और सरल हो जाएगी। इस मामले में जिलाधिकारियों के सहयोग से प्रक्रिया को त्वरित करने में मदद मिलेगी। --आईएएएस पीटीके/एएनएम

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