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दिग्विजय का सियासी कद बढ़ने के साथ क्या मप्र से बढ़ेगी दूरी!

भोपाल, 3 सितम्बर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में एक बार फिर कद बढ़ा है, क्योंकि उन्हें राष्ट्रीय मुद्दों पर होने वाले आंदोलनों की योजना बनाने के लिए गठित की गई समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। वहीं दूसरी ओर सवाल भी उठ रहा है क्या इस नियुक्ति से पूर्व मुख्यमंत्री की अपने गृह राज्य से दूरी भी बढ़ेगी। कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राष्ट्रीय मुददों पर होने वाले आंदोलनों की योजना बनाने के लिए एक समिति का गठन किया है, समिति का अध्यक्ष दिग्विजय सिंह को बनाया गया है, जबकि प्रियंका गांधी, उत्तम कुमार रेड्डी, मनीष चतरथ, बीके हरिप्रसाद, रिपुण बोरा, उदित राज, रागिनी नायक और जुबेर खान इस समिति के सदस्य बनाए गए हैं। कांग्रेस वर्तमान दौर में देश के बड़े हिस्से में विपक्ष की भूमिका निभा रही है, इन स्थितियों में पार्टी के लिए जन आंदोलन जरूरी हो गया है। लिहाजा इन आंदोलनों को क्या रूप दिया जाए, कैसी रणनीति हा,े इस पर विचार मंथन आवश्यक है। इसी को ध्यान में रखकर इस समिति का गठन किया गया है। दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश के 10 साल तक मुख्यमंत्री रहे हैं तो वहीं वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव जिताने में उनकी बड़ी भूमिका रही है क्योंकि असंतुष्ट नेताओं को मनाने की जिम्मेदारी उन्हीं को सौंपी गई थी, जिसमें वे काफी हद तक सफल रहे थे। परिणाम स्वरूप कांग्रेस सत्ता में आई और फिर महज 15 माह बाद ही सत्ता से बाहर हो गई। कांग्रेस के सत्ता से बाहर होने की बड़ी वजह भी दिग्विजय सिंह को माना जाता है। दिग्विजय सिंह को पहले राज्यसभा में भेजा गया और अब आंदोलनों की रणनीति बनाने वाली समिति का सदस्य बनाया गया है तो यही माना जा रहा है कि उनका कांग्रेस के भीतर कद बढ़ रहा है। दिग्विजय सिंह की सरकार में केबिनेट मंत्री रहे सुभाष कुमार सोजतिया का कहना है कि, दिग्विजय सिंह जुझारु नेता है, वे जब राज्य की इकाई के अध्यक्ष हुआ करते थे तब उन्होंने राज्य के हर हिस्से में अपनी पकड बनाई थी, आज भी वे संघर्ष के मामले में पीछे नहीं रहते। इस बात का गवाह है पिछले दिनों भोपाल में हुआ आंदोलन, जिसमंे उन्होंने पानी की बौछारें भी खाई। कुल मिलाकर दिग्विजय सिंह को उनके संघर्ष करने वाले जुझारु चरित्र के अनुसार जिम्मेदारी दी गई है और इसका लाभ कांग्रेस को मिलेगा। वहीं भाजपा पूर्व मुख्यमंत्री को न्यूसेंस फैलाने वाला नेता करार देती है। प्रदेश प्रवक्ता डॉ. हितेश वाजपेयी का कहना है कि, इस बात को हर कोई जानता है कि दिग्विजय सिंह न्यूसेंस वैल्यू क्रिएट करते हैं। वे नकारात्मक, गाली-गलौज वाली राजनीति (एब्यूज पॉलिटिक्स) में सबसे आगे है। सकारात्मक राजनीति वे कर ही नहीं पाते है। इस बात को अब सोनिया गांधी ने भी स्वीकार कर लिया और सोचा कि इनका उपयोग इसी रूप में करते हैं। इसीलिए दिग्विजय सिंह को एक समिति का अध्यक्ष बनाया है, ताकि वे न्यूसेंस पैदा कर सकें। पूर्व मुख्यमंत्री सिंह को राष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदारी सौंपे जाने पर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि, नई जिम्मेदारी सौंपे जाने से दिग्विजय सिंह का राष्ट्रीय राजनीति में कद बढ़ा है, साथ में यह भी लगता है कि उन्हें राज्य की राजनीति से दूर किया गया है। पिछले कुछ अरसे से सिंह की राज्य में सक्रियता लगातार बढ़ रही थी, जिसे कमल नाथ कैंप पसंद नहीं कर रहा था, फिर कमल नाथ की सोनिया गांधी और राहुल गांधी से हुई मुलाकातों के बाद सिंह को राज्य की राजनीति से दूर रखने की कोई रणनीति बनी हो। इसके बावजूद यह भी मानना पड़ेगा कि कांग्रेस दिग्विजय सिंह के राजनीतिक अनुभव का लाभ ले सकती है। --आईएएनएस एसएनपी/एएनएम

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