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महाराष्ट्र के नये हालात क्यों हैं डराने वाले

आर.के. सिन्हा महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के नए मामलों की तेजी से बढ़ती रफ्तार डराने वाले और निराशजनक हैं। जब सारे देश में पहले की तुलना में कोरोना संक्रमित लोगों के मामले घट रहे हैं, तब देश के अति महत्वपूर्ण राज्य महाराष्ट्र में तेजी से नए केस सामने आना गंभीर नकारात्मक संकेतों की तरफ इशारा कर रहा है। महाराष्ट्र सरकार के निकम्मेपन के चलते ही वहां कोरोना काबू में आने की बजाय तेजी से बढ़ रहा है। राज्य सरकार की प्राथमिकताएं बिलकुल सही नहीं हैं। वह इस कोरोना काल में भी ओछी राजनीति ही कर रही है। उसने राज्य के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी को लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक एकेडमी, मसूरी में आईएएस प्रशिक्षणार्थियों को व्याख्यान देने अपने गृह राज्य जाने के लिए सरकारी विमान नहीं दिया। यह करके भी वह अपनी पीठ थपथपा रही है। जरा इनकी बेशर्मी देखिए कि शिवसेना के तमाम नेता राज्य सरकार के फैसले को सही बता रहे हैं। अब वे जरा यह भी बता दें कि उनके राज्य में कोरोना के मामले क्यों तेजी से बढ़ रहे हैं? मेरे कुछ मित्र हाल ही में मुंबई में थे। वे बता रहे थे देश की आर्थिक राजधानी में मास्क पहने हुए लोग गिनती के ही दिखाई देते हैं। जुहू बीच पर मस्ती के लिए आने वाले सैकड़ों लोग न तो सामाजिक दूरी बना कर चल रहे हैं और न ही मास्क पहन रहे हैं। यही स्थिति गेटवे ऑफ इंडिया में भी नजर आती है। हां, दोनों जगहों पर शायद ही कुछ अपवाद मिल सकते हैं। अब बताइये कि किया क्या जाए? महाराष्ट्र सरकार को तुरंत युद्धस्तर पर कदम उठाने होंगे ताकि राज्य को कोरोना के कहर से बचाया जा सके। सबसे चिंता की बात तो यह है कि ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि राज्य में कोरोना की एकबार फिर से नई लहर आने की आशंका है। राज्य में कोरोना वायरस से मरने वालों की कुल संख्या बढ़कर 51,713 हो गई है। जहाँ एक ओर देश की आर्थिक राजधानी में कोरोना के केस बढ़ते जा रहे हैं वहीं राजधानी दिल्ली़ में कोरोना के केस की संख्या लगातार कम हो रही है। दिल्ली में इस लेख को लिखे जाते वक्त तक कोरोना संक्रमण दर बेहद कम होते हुए महज 0.26% रह गई है जबकि एक्टिव मरीजों की दर महज 0.16% है। संख्या के लिहाज से बात करें तो दिल्ली में इस समय कोरोना के सक्रिय यानी एक्टिव मरीजों की संख्या एक हजार से कुछ ज्यादा है। अब जब मुंबई में कोरोना की स्थिति खराब होने लगी तो सरकार ने नई गाइडलाइन जारी कर दी। इसके तहत किसी इमारत में 5 से ज्यादा केस मिलने पर उसे सील कर दिया जाएगा, मास्क न पहनने वालों पर सख्ती होगी। काश, राज्य सरकार ने ये सारे कदम वक्त रहते उठा लिए होते। पर उसे तो ऐसा लगता है कि काहिली का रोग लग गया है। दरअसल महाराष्ट्र और उसकी राजधानी मुंबई का बिल्कुल स्वस्थ और सक्रिय होना और रहना देश के लिए बेहद जरूरी है। इसी राज्य में देश की चोटी की कंपनियों के मुख्यालय हैं। यहां बॉम्बे स्टाक एक्सचेंज है। फिल्म और शिपिंग उद्योग भी हैं। इतने महत्वपूर्ण राज्य का एक महामारी से निपट पाने में असफल रहना कोई अच्छी बात नहीं है। सारी दुनिया को पता है कि महाराष्ट्र भारत का शिखर औद्योगिक राज्य है। इसकी आर्थिक प्रगति ने देश की अर्थव्यवस्था को सदैव मजबूती प्रदान की है। नब्बे के दशक में शुरू हुए आर्थिक उदारीकरण का लाभ उठाते हुए महाराष्ट्र ने अपनी जीडीपी को मजबूत बनाया और वर्तमान में जीडीपी के हिसाब से महाराष्ट्र देश का सबसे अग्रणी राज्य है। महाराष्ट्र देश की अर्थव्यवस्था का ग्रोथ इंजन रहा है। आज पाकिस्तान से बड़ी है महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था। महाराष्ट्र की जीडीपी का आकार पकिस्तान की जीडीपी से अधिक है। वर्ष 2015 में पाकिस्तान की जीडीपी का आकार करीब 250 अरब डॉलर था, वहीं इस दौरान महाराष्ट्र की जीडीपी 295 अरब डॉलर के स्तर पर थी। न केवल पाकिस्तान बल्कि मिस्र आदि दुनिया के 38 अन्य देशों की अर्थव्यवस्था से भी महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था बड़ी है। टैक्स संग्रहण के मामले में भी महाराष्ट्र सबसे अव्वल है। कुल राजस्व प्राप्ति में 70 फीसदी हिस्सा कर का ही है। देश के कुल राजस्व का 40 फीसदी महाराष्ट्र से ही आता है जबकि औद्योगिक उत्पादन में महाराष्ट्र का योगदान 15 फीसदी है। विडंबना देखिए मतलब इतना खास राज्य फिलहाल बहुत बुरी स्थिति में है। एक तरफ कोरोना जैसी भयंकर महामारी पर विजय पाने की दिशा में भारत दुनिया को संजीवनी रूपी टीके दे रहा है, तो दूसरी तरफ भारत का एक खास राज्य कोरोना के शिकंजे में है। निश्चित रूप से भारत पूरे विश्व के लिए एक मिसाल बन चुका है। हमारे देश में बनी वैक्सीन दुनिया के कई देशों में जा रही है। इसलिए आज दुनिया के तमाम बड़े देश भारत के इस प्रयास की सराहना कर रहे हैं। कोरोना की वैक्सीन ईजाद करके भारत ने सिद्ध कर दिया है कि मानव जाति की सेवा के लिए भारत सदैव आगे रहेगा। भारत में कोरोना के खिलाफ टीकाकरण की शुरुआत हो चुकी है। जबकि सिक्के का दूसरा पहलू महाराष्ट्र राज्य है। वहां पर कोरोना पर काबू पाना अब भी बड़ी चुनौती बना हुआ है। दूर की संभावना जरा सोचिए कि इन हालातों में महाराष्ट्र में कब स्कूल-कॉलेज खुलेंगे। पिछले साल मार्च में लॉकडाउन के बाद देशभर के स्कूल बंद कर दिए गए थे, कोरोना की चेन को तोड़ने करने के लिए। साल पूरा होने को है। अब कोरोना उतार पर दिखाई देने लगा तो बिहार, दिल्ली, यूपी, उत्तराखंड, राजस्थान, उड़ीसा वगैरह राज्यों के स्कूल खुल गए हैं। जिंदगी पटरी पर वापस लौटने लगी है। इन राज्यों में सुबह और शाम के समय हजारों बच्चे स्कूल आ-जा रहे होते हैं। पर महाराष्ट्र को लेकर यह स्थिति दूर की संभावना-सी लगती है। महाराष्ट्र सरकार से यह अपेक्षा है कि वह कोरोना पर काबू पाने के लिए केन्द्र सरकार की मदद लेगी। उसे केन्द्र सरकार से हमेशा दो-दो हाथ करने के मूड में तो हरगिज नहीं रहना चाहिए। राज्य सरकार उचित वक्त पर राजनीति करने को भी स्वतंत्र है। लेकिन संकट के समय पर नहीं। अभी तो उसे कोरोना को मात देना ही होगा। (लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं।)

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