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कोरोना संकट में जब विश्व ठहर गया था, तब रेल कर्मचारियों ने एक दिन की भी छुट्टी नहीं ली' : पीयूष गोयल

नई दिल्ली, 03 अप्रैल (हि.स.)। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कोविड-19 संकट के दौरान भी अपार धैर्य, समर्पण और दृढ़ संकल्प के साथ ड्यूटी का निर्वहन करने के लिए 'रेलवे परिवार' के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया है। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को लगभग 13 लाख रेलवे कर्मचारियों को संबोधित करते हुए एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा, महामारी के दौरान जब पूरा विश्व ठहर गया था, तब रेल कर्मचारियों ने एक दिन की भी छुट्टी नहीं ली और व्यक्तिगत जोखिम उठाते हुए पहले से ज्यादा परिश्रम करते रहे ताकि अर्थव्यवस्था के पहियों को चालू रखा जा सके। उन्होंने कहा कि देश कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में रेल परिवार के निस्वार्थ योगदान को कभी नहीं भूलेगा। वित्तीय वर्ष का समापन हो रहा है ऐसे में वह रेल परिवार को धन्यवाद देना चाहते हैं। उन्होंने कहा, पिछले वर्ष जैसा अनुभव हम सब ने पहले कभी नहीं किया है। अपनों के खोने के दुःख को कभी भुलाया नहीं जा सकता है, लेकिन आपका धैर्य और संकल्प ही है जिसने इस अभूतपूर्व कोविड महामारी पर विजय प्राप्त की है। मंत्री ने कहा कि आपकी प्रतिबद्धता के कारण हमने पूरे देश में आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की चाहे वह बिजली संयंत्रों के लिए कोयला हो, किसानों के लिए खाद हो या उपभोक्ताओं के लिए खाद्यान्न हो। आपकी प्रबल इच्छाशक्ति की वजह से, हमने इस संकट को एक अवसर में बदल दिया। पीयूष गोयल ने कहा कि 4,621 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के माध्यम से 63 लाख से अधिक फंसे हुए नागरिकों को उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाया गया। लॉकडाउन के समय कई सारे प्रतिबंधों के बावजूद, 370 सुरक्षा और बुनियादी ढांचे से संबंधित प्रमुख काम संपन्न किये गए। किसान रेल सेवा हमारे अन्नदाताओं को बड़े बाजारों से जोड़ने का माध्यम बनी। आपने अपनी सेवा के माध्यम से इसे संभव बनाया और बदले में लाखों लोगों के दिलों और जीवन को छुआ। पीयूष गोयल ने लिखा कि यह मेरे लिए बहुत गर्व की बात है कि रेलवे ने अपने कार्यों के माध्यम से आर्थिक रिकवरी की अगुवाई की है। 1,233 मिलियन टन माल की ढुलाई की गई, जो किसी भी वर्ष की तुलना में सबसे अधिक है। पिछले वित्तीय वर्ष में 6,015 आरकेएम रेल विद्युतीकरण का कार्य सम्पन्न हुआ है। जैसा कि कहा जाता है कि, "रिकॉर्ड टूटने के लिए होते हैं" और भारतीय रेल से बेहतर यह कोई भी नहीं कर सकता है। आज, रेलवे ग्राहक-केंद्रित है और अपनी गति में सुधार के साथ-साथ परिचालन दक्षता के लिए कई कदम उठा रही है। इसका परिणाम भी दिख रहा है, क्योंकि मालगाड़ियों की औसत गति लगभग दोगुनी होकर 44 किलोमीटर प्रति घंटा हो गई है और यात्री ट्रेनों की समयनिष्ठा 96 प्रतिशत के स्तर पर बनाई रखी गई है। गत दो वर्षों में यात्री मृत्यु दर शून्य रही और रेल दुर्घटनाओं में भी भारी कमी आई है। हिन्दुस्थान समाचार/सुशील

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