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पांचवें चरण का मतदान- कांटे की होगी टक्कर, तृणमूल और भाजपा दोनों के लिए अहम

कोलकाता, 16 अप्रैल (हि.स.)। शनिवार को पश्चिम बंगाल में पांचवें चरण की 45 सीटों पर वोटिंग होगी। यह चरण राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी और भारतीय जनता पार्टी दोनों के लिए खास है। ममता के लिए इसलिए खास है क्योंकि 2016 केविधानसभा चुनाव में पार्टी ने इन 45 में से 32 सीटों पर जीत दर्ज की थी। भारतीय जनता पार्टी के लिए इसलिए खास है क्योंकि इस चरण में उत्तर 24 परगना और उत्तर बंगाल के पहाड़ी क्षेत्रों में वोटिंग होनी है जहां लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया था। लोकसभा चुनाव 2019 में तो पहाड़ी क्षेत्रों में भारतीय जनता पार्टी सभी लोकसभा सीटें जीत गई थी, इसलिए यहां सभी विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज करना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है। उधर ममता बनर्जी यहां अपनी खोई जमीन हासिल करने के साथ-साथ सरकार बचाए रखने के साथ-साथ 2016 का परिणाम दोहराने का दबाव भी है। उल्लेखनीय है कि इस चरण में सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव हो रहा है। दूसरा बड़ा कारण यह है कि जिन 45 सीटों पर पांचवें चरण में मतदान होना है, वहां 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को तृणमूल की तुलना में ज्यादा वोट मिले थे। लोकसभा चुनाव के समय के आंकड़ों के मुताबिक अगर इन सीटों के वोट मिला दिए जाएं तो भाजपा ने यहां 45 फीसदी मतदान हासिल किया था तो वहीं टीएमसी को 41.5 फीसदी वोट मिला था। हालांकि टीएमसी को यहां 23 सीटों पर जीत मिली थी और भाजपा को 22 सीटें मिली थीं। साल 2016 में भी टीएमसी ने इनमें से 32 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जबकि साल 2011 में पार्टी इससे पांच सीटें कम मिली थी। ऐसे में अगर तृणमूल को अधिक सीटों पर सफलता नहीं मिलती है तो यह उसकी प्रतिष्ठा पर सवाल उठने जैसा हो सकता है। बंगाल में 27 मार्च से चुनाव शुरू हुए थे और अब 17 अप्रैल को पांचवें चरण का चुनाव होना है। वहीं छठें चरण का चुनाव 22 अप्रैल और सातवें चरण का चुनाव 26 अप्रैल को होना है। 29 अप्रैल को आखिरी चरण का मतदान किया जाएगा जिसके बाद दो मई को मतगणना होनी है। हिन्दुस्थान समाचार / ओम प्रकाश

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