veterans-will-now-meet-with-heroes-from-sainik-school-of-up-president
veterans-will-now-meet-with-heroes-from-sainik-school-of-up-president

यूपी के सैनिक स्कूल से वीरों के साथ अब वीरांगनाएं भी मिलेंगी : राष्ट्रपति

लखनऊ, 27 अगस्त (आईएएनएस)। राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कहा कि जब हम नारी सशक्तिकरण की बात करते हैं तो जरूरी है की बेटियों की सुरक्षा और उनको शिक्षा के समान अवसर प्रदान किया जाए। यह देश का पहला सैनिक स्कूल बनेगा जहां की बेटियां इस साल एनडीए की परीक्षा में बैठेंगी। यह स्कूल वीरों के साथ अब भारतीय सेना को एनडीए के माध्यम से वीरांगनाएं भी देगा। राष्ट्रपति शुक्रवार को मनोज पाण्डेय उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल की हीरक जयंती कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की ओर से 15 अगस्त के अवसर पर देश के सभी सैनिक स्कूलों में बेटियों के दाखिले की घोषणा की गई। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि उत्तर प्रदेश के सैनिक स्कूल में तीन साल पहले से ही बेटियों के दाखिले की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अब इस विशाल परिसर से केवल वीर ही नहीं वीरांगनाए भी भारत माता की सेवा के लिए तैयार होंगी। कहा कि मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि सैनिक स्कूल के महत्व को रेखांकित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में गोरखपुर में एक सैनिक स्कूल का शिलान्यास किया है। उनकी तरफ से केंद्र सरकार को उत्तर प्रदेश में 16 सैनिक स्कूलों की स्थापना करने का प्रस्ताव भेजा गया है। मुझे यह जानकर भी बेहद खुशी हुई कि सैनिक स्कूलों के छात्रों में देश के लिए सर्वाधिक बलिदान उत्तर प्रदेश के इस सैनिक स्कूल के पुरातन छात्रों ने किया है। राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तर प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में बहुत आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कैप्टन मनोज पांडेय यूपी सैनिक स्कूल के पूर्व छात्र कैडेटों के संगठन का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इसके लिए पूर्व छात्रों और विद्यालय प्रशासन को बधाई। जिन्होंने एक नया नाम दिया जो हमेशा विद्यालय के साथ जुड़ा रहेगा। डॉ. संपूर्णानंद देश के पहले मुख्यमंत्री हुए, जिन्होंने सैनिक स्कूल की स्थापना के बारे में सोचा। उन्होंने इसका अनुभव किया होगा कि अच्छी दिशा में सफलतापूर्वक प्रशासन चलाने के लिए अनुशासित नागरिक जरूरी है। गोरखपुर में हाल ही में नए सैनिक स्कूल का शिलान्यास किया गया। वर्ष 2021-22 के बजट में देश में 100 नए सैनिक स्कूल खोलने की व्यवस्था की गई है। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि जब सैनिक भावना के साथ खिलाड़ी मैदान पर उतरता है तो मेजर ध्यान चंद, फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह और नीरज चोपड़ा इतिहास बनाते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि परमवीर चक्र विजेता कैप्टन मनोज पाण्डेय थे जो कारगिल में शहीद हुए। कारगिल शहीदों को नमन करने के लिए वहां लगातार तीन वर्ष से जाने का प्रयास कर रहा हूं, लेकिन वह सफल नहीं हो पाता। सीडीएस से बात हुई है। इस साल दशहरा में मैं कारगिल अवश्य जाऊंगा। राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कहा कि वह देश के राष्ट्रपति होने के साथ एक संवेदनशील नागरिक भी हैं। बोले कि अक्सर जब कहीं यात्रा पर जाता हूं तो मुझे यह पता चलता है कि वहां पर मेरे आगमन से ट्रैफिक को बहुत पहले रोका जाता है। जिससे लोगों को दिक्कत होती है। इससे मुझे पीड़ा होती है। उन लोगों की चिंता भी होती है, हालांकि यह प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह मुस्तैदी से अपनी डयूटी निभाता है। मैं इसका विरोध नहीं करता, उनको सतर्क रहना चाहिए। मेरा सुझाव है कि जब भी कोई वीआइपी कार्यक्रम हो तो ट्रैफिक को केवल 10 से 15 मिनट के लिए ही रोका जाए। ट्रैफिक बहुत पहले रोकना अच्छी बात नहीं है। इसके साथ ही एंबुलेंस या इमरजेंसी वाहनों को कोई बाधा न हो यह भी सोचना चाहिए। मेरी ही नहीं यदि सीएम की फ्लीट चल रही हो तो उनको रोककर एंबुलेंस को आगे निकाल सकते हैं। इस जिम्मेदारी के लिए पुलिस व प्रशासन पर ही निर्भर नहीं रहा जा सकता है। सजग नागरिक की तरह हमको गाड़ी एक के पीछे एक लगाना चाहिए। हम आगे निकलने के चक्कर में हम ट्रैफिक रूल्स को तोड़ते हैं। जब भी कोई वीआइपी मूवमेंट होता है तो उसे सुचारू रूप से चलाने के लिए हम सबको अहम जिम्मेदारी निभानी होगी। इससे पहले राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कैप्टन मनोज पांडेय यूपी सैनिक स्कूल की स्थापना के हीरक जयंती वर्ष के समापन समारोह में स्कूल की क्षमता को 450 से बढ़ाकर 900 छात्र करने के लिए बालक व बालिका छात्रावास के निर्माण का शिलान्यास किया। इसके साथ ही एक हजार की क्षमता वाले डॉ. संपूर्णानंद सभागार का लोकार्पण व डॉ. संपूर्णानंद की प्रतिमा का अनावरण किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर कहा कि लखनऊ के कैप्टन मनोज पाण्डेय सैनिक स्कूल ने एक आयाम स्थापित किया है। यह स्कूल दिन पर दिन कई मायने में प्रतिमान गढ़ रहा है। इस विद्यालय के संस्थापक पूर्व मुख्यमंत्री स्व.सम्पूर्णानन्द ने 1960 के कालखंड में इसकी परिकल्पना की थी कि सैनिक स्कूल होने चाहिए। इसके बाद भी देश को 1962 में युद्ध में उतरना पड़ा। उस समय उस राजनेता ने ही दूरदर्शिता से इसे भांप लिया था कि देश को इसकी जरूरत होगी। यह सैनिक स्कूल पहला सैनिक स्कूल है जिसने 2018 में तय किया था कि इसमें हम बालिकाओं के प्रवेश को अनिवार्य करेंगे। --आईएएनएस विकेटी/एएनएम

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in