उत्तराखंड के वासुकी ताल में चार ट्रैकर लापता, सर्च अभियान में एसडीआरएफ और हेलीकॉप्टर जुटे
उत्तराखंड के वासुकी ताल में चार ट्रैकर लापता, सर्च अभियान में एसडीआरएफ और हेलीकॉप्टर जुटे

उत्तराखंड के वासुकी ताल में चार ट्रैकर लापता, सर्च अभियान में एसडीआरएफ और हेलीकॉप्टर जुटे

देहरादून, 15 जुलाई (हि.स.)। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिलान्तर्गत वासुकी ताल इलाके में ट्रैकिंग के लिए गए चार ट्रैकर मंगलवार को लापता हो गए, जिन्हें ढूंढने के लिए एसडीआरएफ की टीमें लगाई गई हैं। इनकी खोजबीन के लिए हेलीकॉप्टर का सहारा भी लिया जा रहा है। एसडीआरएफ की सेना नायक तृप्ति भट्ट ने बताया कि मंगलवार को पुलिस चौकी श्री केदारनाथ द्वारा केदारनाथ क्षेत्र से वासुकी ताल के लिए गए 4 ट्रैकर के लोकेशन के सम्बन्ध कोई जानकारी प्राप्त न होने की सूचना एसडीआरएफ को दी गई। इसके बाद एक टीम तत्काल ही केदारनाथ से सर्च के लिए वासुकी ताल क्षेत्र के लिए रवाना हो गई। हालांकि इलाके में मौसम अत्यधिक खराब होने के कारण सर्च टीम को सफलता नहीं मिल पाई। इसलिए आज पुनः एसडीआरएफ की टीमों को विभिन्न संभावित ट्रैकिंग रूटों पर पर बृहद स्तर पर सर्च के लिए भेजा गया है। इनमें केदारनाथ से त्रियुगीनारायण रूट पर पांच एसडीआरएफ, दो पुलिसकर्मी और दो पोर्टर भेजे गए हैं। सोनप्रयाग मून कुटिया से वासुकी ताल रूट पर पांच एसडीआरएफ, दो गाइड जिला आपदा सदस्य भेजे गए हैं। इसके अलावा वायु मार्ग से एसडीआरएफ माउंटेनिरिंग टीम का सदस्य विजेंदर कुड़ियाल सहस्त्र धारा हेलीपैड से हेलीकॉप्टर के माध्यम से रवाना हुआ। लापता ट्रैकर्स के नाम हिमांशु गुरुंग, हर्ष भंडारी, मोहित भट्ट और जगदीश बिष्ट हैं। इनका सम्भावित पता जनपद नैनीताल और देहरादून है। वासुकी ताल का रूट अत्यंत जोखिम भरा है। मौसम यहां अक्सर साथ नहीं देता है। केदारनाथ धाम (11300 फीट) से लगभग 8 किलोमीटर दूर वासुकी ताल (13300 फीट) एक बेहद खूबसूरत छोटी झील है। केदारनाथ से वासुकी ताल पंहुचने के लिए मंदाकिनी के तट से लगे पुराने घोड़ा पड़ाव से होते हुए दूध गंगा के उद्गम की ओर सीधी चढ़ाई चढ़नी होती है। नाक की सीध में 4 किमी की चढ़ाई चढ़कर खिरयोड़ धार (सबसे ऊंची जगह) के बाद पहली बार खुला मैदान दिखता है। यहां से 2 किमी हल्की चढ़ाई के बाद केदारनाथ-वासुकी ताल ट्रैक की सबसे ऊंचाई वाली जगह जय-विजय धार (14000 फीट) आती है। इस जय-विजय धार से लगभग 200 मीटर उतरकर वासुकी ताल के दर्शन होने लगते हैं। आगे की 2 किमी की दूरी पर बड़े-बड़े पत्थरों के बीच पैरों को संतुलित करना बेहद मुश्किल काम है। हिन्दुस्थान समाचार/दधिबल/बच्चन-hindusthansamachar.in

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