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उप्र : बसंत पंचमी से बांकेबिहारी मंदिर में हुआ होली का आगाज, जमकर उड़ा गुलाल

-ठाकुर बांकेबिहारी के संग खेली भक्तों ने होली, होली आने का दिया विश्वभर को संदेश -श्रद्धालुओं ने जमकर उठाया होली पर्व का लुफ्त मथुरा, 16 फरवरी (हि.स.)। ब्रज के मंदिरों की नगरी वृंदावन में बसंत पंचमी यानी मंगलवार से होली का शुभारंभ हो चुका है। सुप्रसिद्ध बांकेबिहारी मंदिर में गोस्वामियों ने पहले अपने आराध्य बाँकेबिहारी को सुगंधित कई रंग का गुलाल सेवित किया। इसके पश्चात देश-विदेश से आए भक्तों पर जमकर गुलाल बरसाया। गुलाल से सराबोर भक्त भक्तिरस के साथ बृज की होली के रंग में सराबोर हो गए। वृंदावन वैसे तो देशभर में सनातन धर्म के लोग आज के दिन बसंत-पंचमी का त्यौहार मनाते हैं, लेकिन बृजभूमि में इस त्यौहार का अपना अलग ही महत्त्व है। अपनी-अपनी परंपराओं के अनुसार डांडा गाड़ने की रिवाज चली आ रही है। मथुरा के द्वारिकाधीश मंदिर में पूर्णमासी के दिन आयोजन होगा और तभी से रसियाओं का क्रम शुरू होता है जबकि बांकेबिहारी मंदिर वृन्दावन में आज बसंत पंचमी पर्व के साथ ही रंग गुलाल उड़ना शुरू हो गया है। देशी विदेशी श्रद्धालुओं ने मंगलवार बाँकेबिहारी मंदिर पहुंचकर इसका खूब आनंद लिया। ठा. बांकेबिहारी मंदिर प्रांगण में पहुंचे भक्तों ने उनकी मौजूदगी में रंग गुलाल उड़ाकर होली खेली। गोस्वामी और साधु समाज भी इसका साक्षी बना। दूर-दूर से आये श्रद्धालु भक्त अबीर, गुलाल उड़ने से आनंदित होते देखे गये। आज बसंत पंचमी को लेकर बाँकेबिहारी मंदिर में काफी भीड़ रही। न किसी को कोरोना डर दिखाई दिया सिर्फ दिखाई दिया तो ठाकुरजी से होली खेलने का आनंद, श्रद्धालु काफी संख्या में आये हुये थे और बसंत पंचमी से होली की शुरूआत का आनंद ले रहे थे। बाँकेबिहारी मंदिर के सेवायत अशोक गोस्वामी ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बृज में बसंत ऋतू के आगमन के साथ ही बसंत-पंचमी के दिन से होली की शुरुआत हो जाती है। यहाँ के सभी प्रमुख मंदिरों में आज ही के दिन से होली का गुलाल उड़ाने की शुरुआत हो जाती है और ये सिलसिला अगले 45 दिन तक निरंतर जारी रहता है। बसंत पंचमी के दिन वृन्दावन के विश्वप्रसिद्ध बाँकेबिहारी मंदिर में भी जमकर गुलाल उड़ाया जाता है। परंपरा के अनुसार आज के दिन मंदिर में श्रृंगार आरती के बाद सबसे पहले मंदिर के सेवायत पुजारी भगवान बाँकेबिहारी को गुलाल का टीका लगाकर होली के इस पर्व की विधिवत शुरुआत करते हैं और उसके बाद इस पल के साक्षी बने मंदिर प्रांगण में मौजूद श्रद्धालुओं पर सेवायत पुजारियों द्वारा जमकर बसंती गुलाल बरसाया जाता है। हिन्दुस्थान समाचार/महेश कुमार/रामानुज-hindusthansamachar.in

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