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दिल्ली की पार्किंग में खड़ी लावारिस गाड़ियां मालिकों के इंतजार में ले रहीं कबाड़ की शक्ल

नई दिल्ली, 28 नवंबर (आईएएनएस)। कोरोना महामारी के कारण लोगों को बेहद परेशानियों का सामना उठाना पड़ा वहीं अभी भी इसका दुष्प्रभाव नजर आ रहा है। दिल्ली मेट्रो की पार्किंग में आज भी कुछ ऐसे वाहन खड़े हुए हैं जिन्हें अभी भी अपने मालिकों का इंतजार है। लोग पाकिंग में अपनी गाड़ियाँ खड़ी तो करके गए लेकिन दोबारा मुड़ कर नहीं देखा, जिसकी वजह से दो पहिया और चार पहिया वाहन कबाड़े की शक्ल लेने लगे हैं। दिल्ली- एनसीआर के कुछ महžवपूर्ण स्टेशनों पर इन वाहनों का भंडार लगा हुआ है। पार्किंग संचालकों की माने तो उन्हें भी इनके खड़े रहना का कारण नहीं पता वहीं उनके मुताबिक वह अपनी ओर से मेट्रो को 48 घण्टे से अधिक खड़े वाहनों की सूची दे देते हैं। इसके बाद दिल्ली मेट्रो अपनी ओर से इन वाहनों के ऊपर कार्यवाही करता है। हालाँकि यह गाड़ियाँ चोरी की हैं या नहीं इसकी पुष्टि नहीं हो सकी वहीं कुछ गाड़ियाँ ऐसी भी हैं जिन्हें बैंक द्वारा खड़ी की गई हैं क्योंकि इनके मालिक किश्त नहीं चुका सके थे। दिल्ली के यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन पर भी एक चार पहिया वाहन करीब डेढ़ साल से अधिक समय से खड़ी हुई है। पार्किंग संचालक के अनुसार, यह कोई बैंक वाला खड़ी करके गया है क्योंकि इसका मालिक किश्त नहीं चुका सका था। हालाँकि पार्किंग संचालक ने साफ कर दिया है कि जब इस गाड़ी को लेने बैंक वाले आएँगे, तो वह इनसे अपना किराया भी वसूलेगा। पार्किंग संचालक द्वारा एक नंबर भी दिया गया जो एक बैंक कर्मी का बताया गया। हालाँकि आईएएनएस ने उनसे संपर्क करने की कई बार कोशिश की लेकिन उनसे संर्पक नहीं हो सका। कोरोना काल के दौरान कई लोग दूसरे शहरों में पलायन करने को मजबूर हुए वहीं कई लोगों की नौकरियाँ तक छूट गई। यह आशंका जताई जा रही है कि इनमें कुछ ऐसी भी गाड़ियाँ है जो लोग कोरोना काल के दौरान छोड़ गए लेकिन वापस लेने नहीं पहुंचे। बोटेनिकल गार्डन मेट्रो स्टेशन पर पार्किंग चला रहे एक व्यक्ति ने बिना नाम बताने की शर्त पर बताया कि,पार्किंग में खड़े यह वाहन कोरोना काल के दौरान से पहले के खड़े हुए हैं। अब क्यों खड़े है यह नहीं पता। 48 घण्टे के बाद हमें दिल्ली मेट्रो को रिपोर्ट देनी होती है वहीं हर महीने की आखिरी तारीख को भी रिपोर्ट जाती है। अब थाने वाले भी यहाँ से वाहन उठाकर नहीं ले जा रहें तो यह हमारी समस्या नहीं है। क्या इन वाहनों को कोई बाद में लेने भी आता है ? इस सवाल के जवाब में पार्किंग संचालक ने बताया कि, हमारी पार्किंग में नई नई गाड़ियाँ खड़ी हुई हैं। ग्राहक अब पार्किंग में छोड़ जाता है। वहीं कोई अपनी गाड़ियाँ भूलेगा तो नहीं लेकिन अब नहीं पता यह यहाँ इस तरह क्यों खड़ी हुई हैं। वहीं इसके अलावा अक्षरधाम मेट्रो स्टेशन स्थित पार्किंग में भी 3 गाड़ियाँ जिनमें दो पहिया और एक चार पहिया वाहन शामिल है जो लंबे वक्त से खड़ी हुए हैं। दूसरी ओर अक्षरधाम मेट्रो स्थित पार्किंग से मिली जानकारी के अनुसार, दिल्ली मेट्रो की तरफ से 4 से 5 महीने बाद लोग आते हैं और वह खुद देखकर और पूछताछ करके कि कोई नई गाड़ी है या कोई पुरानी का पता करके चले जाते हैं। वहीं पार्किंग में खड़े एक व्यक्ति ने इस बात का भी जिक्र किया कि, कुछ वक्त पहले एक व्यक्ति अपनी गाड़ी लेने आया था जिसकी गाड़ी यहाँ करीब 8 महीने से खड़ी हुई थी। उसके पास कोर्ट की तरफ से दस्तावेज पहुँचे थे। दरअसल दिल्ली मेट्रो के अधीन कुल 114 मेट्रो स्टेशनों पर यात्रियों के प्रयोग के लिए पार्किंग उपलब्ध है वहीं लावारिस वाहनों को एक निश्चित समय- सीमा के बाद नीलाम करने का प्रावधान है। कुछ लोग तो न्यायालय के आदेश से अपना वाहन ले जाते हैं, लेकिन बेनामी और लावारिस वाहन जंग खाने के लिए खड़े रहते हैं। दिल्ली मेट्रो की तरफ से बताया गया कि, दिल्ली मेट्रो स्टेशन की पार्किंग में गाड़ियाँ भुगतान के आधार पर खड़ी की जाती है। यदि दिल्ली मेट्रो की पार्किंग में 7 दिनों से अधिक समय तक गाडियाँ खड़ी पायी जाती है तो इन गाड़ियों की सूचना सम्बंधित पुलिस प्राधिकारी को प्रत्येक महीने आवश्यक कार्यवाई के लिए भेजी जाती है। इसके अलावा मिली जानकरी के अनुसार, 31 मार्च 2021 के रिपार्ट के मुताबिक, एक मार्च 2020 से दिल्ली मेट्रो के 38 स्टेशनों की पार्किंग में कुल 89 गाडियाँ खड़ी की गई थी। इसमें कोई शक नहीं कि कई सालों से खड़ी पार्किंग में गाड़ियों पर दावा करने कोई नहीं पहुंचा। वहीं पार्किंग में खड़ी वाहन मालिकों को नोटिस भेजकर वाहनों को जल्द ले जाने को कहा जाता है लेकिन यदि फिर भी पार्किंग से अगर वाहनों को नहीं ले जाता है तो इन्हें स्क्रैप कर दिया जाएगा। जानकारी के अनुसार, नीलामी नियमावली के मुताबिक लावारिस अवस्था में बरामद वाहन या जब्त वाहन के छह माह बाद निस्तारण की प्रक्रिया शुरू की जानी होती है। पुलिस इसको रिकॉर्ड में लेती है और बाद में न्यायालय में इसकी जानकारी दी जाती है। --आईएएनएस एमएसके/आरजेएस

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