सितंबर में अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को लेकर यूजीसी ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा, कही यह बात
सितंबर में अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को लेकर यूजीसी ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा, कही यह बात

सितंबर में अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को लेकर यूजीसी ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा, कही यह बात

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने अंतिम वर्ष/सेमेस्टर की परीक्षा सितंबर के अंत में कराने के अपने निर्णय को उचित ठहराया है। इसने उच्चतम न्यायालय से कहा कि देशभर में छात्रों के शैक्षणिक भविष्य को बचाने के लिए ऐसा किया गया है। यूजीसी ने अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करने संबंधी छह जुलाई की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 50 पेज का हलफनामा न्यायालय में दाखिल किया है। छात्रों के शैक्षणिक भविष्य को बचाने के लिए ऐसा किया गया इसमें कहा गया है कि इस साल जून में कोविड-19 महामारी की स्थिति को देखते हुए उसने विशेषज्ञ समिति से 29 अप्रैल के दिशा-निर्देशों पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया था। अप्रैल के दिशा-निर्देशों में विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों से कहा गया था कि वे अंतिम वर्ष की परीक्षाएं जुलाई 2020 में आयोजित करें। यूजीसी के अनुसार, विशेषज्ञ समिति ने ऐसा ही किया और अपनी रिपोर्ट में सेमेस्टर और अंतिम वर्ष की परीक्षाएं ऑफ लाइन, ऑनलाइन या मिश्रित प्रक्रिया से सितंबर 2020 के अंत में कराने की सिफारिश की थी। हलफनामे के अनुसार, विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर यूजीसी ने छह जुलाई की बैठक में चर्चा की और इसे मंजूरी दी। इसके तुरंत बाद कोविड-19 महामारी को ध्यान में रखते हुए अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के बारे में परिवर्तित दिशा-निर्देश जारी किए गए। ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट में विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष / सेमेस्टर परीक्षाओं के मामले में अगली सुनवाई 31 जुलाई 2020 को है। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यूजीसी को अंतिम वर्ष की परीक्षाएं कराने के विरोध में दायर याचिकाओं को लेकर जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया है। छात्र समेत नेता व अभिभावक भी कर रहे परीक्षा रद्द करने की मांग अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को लेकर यूजीसी की गाइडलाइंस के आने के बाद से इसका विरोध हो रहा है। छात्र सोशल मीडिया पर अंतिम वर्ष की परीक्षाओं का विरोध करते आ रहे हैं। इसके अलावा कई नेता और अभिभावक भी यूजीसी के फैसले का विरोध कर रहे हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र को पत्र लिखकर परीक्षा रद्द करने की मांग कर चुके हैं। साथ ही कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी परीक्षा का विरोध किया है। वहीं, शिवसेना की यूथ विंग ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर सितंबर तक परीक्षा कराए जाने के निर्णय को चुनौती दी है।-newsindialive.in

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