अमेरिका में टिक टॉक पर प्रतिबंध का शनिवार को आदेश देंगे ट्रम्प
अमेरिका में टिक टॉक पर प्रतिबंध का शनिवार को आदेश देंगे ट्रम्प

अमेरिका में टिक टॉक पर प्रतिबंध का शनिवार को आदेश देंगे ट्रम्प

- ट्रम्प ने कहा, शनिवार को जारी करेंगे टिक टॉक पर प्रतिबंध का कार्यकारी आदेश ललित मोहन बंसल लॉस एंजेल्स, 01 अगस्त (हिस)। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार रात कहा कि वह विवादास्पद चीनी ऐप ‘टिक टॉक’ पर अमेरिका में प्रतिबंध लगा रहे हैं। उन्होंने कहा है कि वह शनिवार को एक कार्यकारी आदेश से टिक टॉक पर प्रतिबंध लगाएंगे। यह उनके अधिकार में है। इससे पहले सुबह खबर आई थी कि माइक्रोसाफ़्ट टिक टॉक ख़रीद रहा है। अमेरिकी निवेशक सिक्वॉअ कैपिटल और जनरल एटलांटिक इसे ख़रीदने के लिए क़रीब सौ अरब डॉलर निवेश कर रहे हैं। माइक्रोसॉफ्ट ने कोई प्रतिक्रिया करने से इनकार किया है। उन्होंने यह मंशा एयर फ़ोर्स वन से फ़्लोरिडा से वाशिंगटन लौटते वक़्त व्यक्त की। शुक्रवार सुबह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने फ़्लोरिडा रवाना होते समय कहा था कि वह इस ऐप पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं। ट्रम्प प्रशासन पहले ही इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा बता चुका है। भारत में इसे हाल में 59 चीनी ऐप्स के साथ प्रतिबंधित किया गया है। शुरू में बाइट डाँस ही पैतृक कंपनी थी, बाद में उसने ख़ुद को टिक टॉक में मिला दिया। उन्होंने कहा कि वह माइक्रोसाफ़्ट की ओर से इसे ख़रीदे जाने के प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं। टिक टॉक ने देर रात तक कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई है। अमेरिकी मीडिया में चर्चा है कि टिक टॉक राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा है। इस से चीनी ख़ुफ़िया एजेंसियों के पास अमेरिकी डाटा जा सकता है। टिक टॉक एक पैतृक चीनी कंपनी ‘बाइट डाँस’ की उत्पत्ति है। बाइट डाँस की स्थापना सन 2014 में सैन फ़्रांसिस्को में हुई थी तब शुरू में म्यूज़िक वीडियो तक सीमित थी। कालांतर में दुनिया भर की युवा पीढ़ी को लुभाने के लिए इसने सोशल मीडिया से संबद्ध कर दिया। इसके बाद तो अब वैश्विक स्तर पर इसके 80 करोड़ यूज़र्स हो गए है। इसके न्यू यॉर्क और लॉस एंजेल्स दफ़्तरों में हज़ारों कर्मचारी हैं। इसने डिज़्नी के एक वरिष्ठ अधिकारी केविन मेयर को ऊँचे ओहदे पर रख लिया है। चीनी कंपनी भरपूर कोशिश में है कि वह वाल स्ट्रीट के धुरंधर लाबिस्ट की मदद से किसी तरह इस कंपनी को ट्रम्प की निगाहों से बचने में सफल हो जाए और इसे किसी अमेरिकी कंपनी के हाथों में सुपुर्द कर दे। अमेरिकी मीडिया के अनुसार ‘टिक टॉक’ पर नकेल कसने के लिए प्रशासन दो विकल्प पर चर्चा कर रहा था। एक, इस टिक टॉक को किसी अमेरिकी कंपनी के हाथों बेच दिया जाए। ऐसा नहीं हो पाता है तो प्रशासन इसे ‘एंटीटी लिस्ट’ में डाल कर इसके विरुद्ध अमेरिकी सेवाएँ और उत्पादों के इस्तेमाल पर रोक लगा दे। इस स्थिति से बचने के लिए कंपनियाँ प्रशासन से एक अनापत्ति प्रमाण पत्र लेती हैं, जो मौजूदा विवाद के चलते एक मुश्किल प्रक्रिया है। इस कार्य में एक विदेशी कंपनी को अमेरिका की विदेशी मामलों की निवेश समिति से हरी झंडी लेना अनिवार्य होता है। हिन्दुस्थान समाचार-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in