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भाजपा, अगप व यूपीपीएल के बीच सीटों के बंटवारे पर कल हो सकता है अंतिम फैसला

गुवाहाटी, 03 मार्च (हि.स.)। असम में 126 विधानसभा सीटों के लिए तीन चरणों में होने जा रहे चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों में सीटों के बंटवारे को लेकर मंथन जारी है। यह तीन चरण मार्च और अप्रैल महीने में होंगे।राज्य की सत्ताधारी पार्टी भाजपा व सहयोगी पार्टी असम गण परिषद (अगप) और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) के बीच गठबंधन के तहत विधानसभा चुनाव लड़ने की रणनीति बनी है। हालांकि अभी तक सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है। सीटों के बंटवारे को लेकर नई दिल्ली में गुरुवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ शाम को बैठक होने वाली है। बैठक में अगप की ओर से पार्टी अध्यक्ष अतुल बोरा, कार्यकारी अध्यक्ष केशव महंत तथा यूपीपीएल की ओर से पार्टी अध्यक्ष प्रमोद बोड़ो व अन्य नेता हिस्सा ले रहे हैं। असम प्रदेश भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, प्रदेश अध्यक्ष रंजीत कुमार दास व नेडा के संयोजक डॉ हिमंत विश्वशर्मा के हिस्सा लेने की संभावना जतायी गयी है। सीटों के बंटवारा न होने के कारण पार्टियों का चुनाव प्रचार अभियान में थोड़ी कमी देखी जा रही है। जहां तक अगप की बात करें तो अगप अपनी पुरानी 14 सीटों से पीछे हटना नहीं चाहता है। भाजपा सूत्रों का कहना है अगप को इस बार 10 से अधिक सीटें भाजपा देने के लिए तैयार नहीं हैं जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री व अगप के संस्थापक अध्यक्ष प्रफुल्ल कुमार महंत की बढ़मपुर की सीट और कमलपुर की सीट को भाजपा छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। हालांकि अगप अपनी जीती हुई सीटों को छोड़ना नहीं चाहती है। प्रफुल्ल कुमार महंत बीमारी के चलते दिल्ली स्थित एम्स में अपना इलाज करा रहे हैं। उनकी पत्नी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात भी की थी। माना जा रहा है कि वे कहीं न कहीं प्रधानमंत्री से वे बढ़मपुर की सीट को अपने लिये या अपने बेटे के लिए छोड़ने की जरूर बात की होगी। जहां तक यूपीपीएल की बात है तो बोड़ोलैंड की 12 सीटों में भाजपा के साथ समझौता होना है। गठबंधन में शामिल कोकराझार के निर्दलीय विधायक हीरा शरणिया की गण सुरक्षा पार्टी (जीएसपी) पार्टी भी बीटीसी इलाके में कम से कम तीन सीटों की मांग कर रही है। माना जा रहा है कि भाजपा एक सीट शरणिया की पार्टी के लिए छोड़ सकती है। जबकि शेष 11 सीटों में से आधे-आधे पर यूपीपीएल व भाजपा के बीच समझौता हो सकता है। हालांकि, असली तस्वीर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के साथ बैठक के बाद ही साफ हो पाएगी। हिन्दुस्थान समाचार/अरविंद/रामानुज

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