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बलिया पहुंचे टिकैत, किसानों का किया आह्वान

-नए कृषि कानूनों के खिलाफ सिकंदरपुर कस्बे में सभा बलिया, 10 मार्च (हि. स.)। तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को धार देने के लिए भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत बुधवार को बलिया पहुंचे। उन्होंने सिकंदरपुर कस्बे के चेतन किशोर मैदान में संयुक्त किसान मोर्चा की सभा में केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। राकेश टिकैत ने महर्षि भृगु के जयकारे के साथ बलिया के क्रांतिकारियों को याद करते हुए अपने भाषण की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि हम किसान हैं। जहां भी जाते हैं, वहीं के हो जाते हैं। यह किसानों की लड़ाई है। क्षेत्रवाद में मत बंटना। सरकारें बांटने का काम करेंगी। टिकैत ने कहा कि इस किसान आंदोलन को कभी पंजाब, हरियाणा तो कभी खालिस्तान का आंदोलन बताया जाता है। सच यह है कि यह किसानों का आंदोलन है। हम देखते हैं कि यहां से कंपनियां आठ सौ, एक हजार रुपये के भाव से हजारों ट्रक धान-गेहूं खरीदकर बड़े गोदामों में रखते हैं। आज राजनीतिक पार्टियां भी किसान पंचायत के नाम पर आयोजन करती हैं। किसान नेता ने कहा कि, 2021 किसान आंदोलन के नाम रहेगा। तीनों कृषि कानून जमीन छिनने का कानून है। 12 दौर की वार्ता में हमारी कोई बात नहीं मानी गई। आज किसान अपनी फसल खुद उजाड़ रहे हैं। हम मना कर रहे हैं। टिकैत ने कहा कि सरकार एमएसपी पर कानून नहीं बना रही। लेकिन दुनिया ये दूसरे देश एमएसपी का कानून बना रहे हैं। यूपी के सीएम ने कहा था कि एमएसपी पर खरीद होगी, मगर नहीं हुआ। यह लड़ाई यहीं खत्म नहीं होगी। रेलवे को बंद कर अडानी, अम्बानी को बेचने का कुचक्र चल रहा है। टिकैत ने पीएम मोदी का नाम लिए बिना कहा कि यह लुटेरों का आखिरी बादशाह है। इसे हटाना पड़ेगा। 13 को पश्चिम बंगाल में भी जा रहा हूं। सरकारें चाहती हैं कि छोटे बाजार, छोटे दुकान बंद हों। छोटे रोजगार खत्म हो जाएंगे। यह लड़ाई खाली तीन बिल की नहीं। यह किसानों के आत्मसम्मान की लड़ाई है। अगर इस आंदोलन में किसान हारा तो कल देश का मजदूर भी हारेगा। इसे संगठित होकर लड़ना पड़ेगा। क्योंकि इस देश में बड़े उद्योगपति का गोदाम पहले बना और कानून बाद में बना। उन्होंने सामने जुटी भीड़ का आह्वान किया कि एक गांव, एक ट्रैक्टर पन्द्रह आदमी और दस दिन चाहिए, कृषि बिल वापस हो जाएगा। सभा में राष्ट्रीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व एमएलसी रामाशीष राय, विजय बहादुर सिंह, पुरूषोत्तम शर्मा, भीमनाथ राय, शिवनारायण यादव, अजीत कुमार राय, ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा व डा. मदन राय भी थे। अध्यक्षता अजीत राय व संचालन श्रीराम चौधरी ने किया। किसान आंदोलन को बलिया से मिलेगी धार भारतीय किसान यूनियन के महासचिव चौधरी युद्धवीर सिंह ने कहा कि बलिया क्रांति की धरती है। यहां से उठी आवाज ने बड़ी से बड़ी सत्ता को झुकाने का काम किया है। दिल्ली से जिस क्रांति का सूत्रपात हुआ, उसको बलिया में धार मिलेगी।युद्धवीर ने कहा कि किसानों को बदनाम किया जा रहा है। सवाल किया कि किसान जब पनीर और मटर पैदा करेगा तो मटर- पनीर नहीं खाएगा तो कौन खाएगा। किसान आंदोलन से दूर होगी बदहाली किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामाशीष राय ने कहा कि वर्तमान में देश में शासन कारपोरेट घरानों के मुखौटे के रूप में शासन किया जा रहा है। किसान आंदोलन से बलिया के भी किसानों की भी बदहाली दूर होगी। हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/ प्रभात ओझा

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