सोमनाथ मंदिर स्थल के नीचे तीन मंजिला संरचना, पुरातत्व विशेषज्ञों का दावा

Three-storey structure below the Somnath temple site, archeology experts claim
Three-storey structure below the Somnath temple site, archeology experts claim

अहमदाबाद, 29 दिसम्बर (हि.स.)। आईआईटी गांधीनगर के 4 पुरातत्व विशेषज्ञों की खोज में पता चला है कि बारह ज्योतिर्लिंगों में से पहला, सोमनाथ महादेव स्थल के नीचे एल-आकार की तीन मंजिला संरचना है। एक साल पहले सोमनाथ के ट्रस्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निवास पर आयोजित बैठक में मोदी ने मंदिर के पुरातत्व अध्ययन का सुझाव दिया। जिसका जिम्मा आईआईटी गांधीनगर को सौंपा गया था। सोमनाथ में चार स्थानों पर जीपीआर जांच की गयी। इसमें आईआईटी गांधीनगर के पुरातत्व विशेषज्ञों का एक दल भी था। टीम ने सोमनाथ और प्रभातपाटन में कुल 4 स्थानों पर जीपीआर जांच की। इसमें सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा, मुख्य द्वार से गौलोकधाम के दिग्विजय द्वार, सोमनाथ मंदिर के साथ-साथ एक बौद्ध गुफा भी शामिल है। हिरण के तट पर भूमिगत निर्माण के साक्ष्य भी मिले। रिपोर्ट के अनुसार, प्रभातपाटन के सोमनाथ हस्तक के गौलोकधाम में गीता मंदिर के सामने हिरन नदी के तट पर किए गए सर्वेक्षण से पता चला कि एक ठोस भूमिगत निर्माण है। दिग्विजय द्वार से सरदार पटेल की प्रतिमा को पहले पुराना कोठार के नाम से जाना जाता था, जिसे हटा दिया गया है। एक तीन मंजिला इमारत भूमिगत है, जिसमें एक मंजिल ढाई मीटर की गहराई पर, दूसरी मंजिल पांच मीटर की गहराई पर और तीसरी मंजिल साढ़े सात मीटर की गहराई पर है। जबकि वर्तमान में सोमनाथ में तीर्थयात्रियों की सुरक्षा जांच जहां की जा रही है, पता चला है कि वहां भी भूमिगत एल-आकार का निर्माण है। यह रिपोर्ट वैज्ञानिक विधि से तैयार की गई है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गांधीनगर के विशेषज्ञों ने लगभग 5 करोड़ रुपये की बड़ी मशीनों के साथ सोमनाथ, प्रभातपाटन में एक दिन और रात बिताई। उन्होंने एक साइड लेआउट योजना तैयार की और उन जगहों का सर्वेक्षण किया जहां 2 मीटर से 12 मीटर तक के कंपन को जीपीआर जांच से पता लगाया जा सकता है। है। उसी से रिपोर्ट तैयार की जाती है। प्रभास का उल्लेख नासिक के उषददत राजा के दूसरी शताब्दी के शिलालेख में एक पवित्र भूमि के रूप में किया गया है। खुदाई के दौरान पहले मंदिर के अवशेष वहां मिले थे। वल्लभपुर (500 से 700 ईस्वी) के राजा द्वारा उस स्थान पर एक और मंदिर बनाया गया था। तीसरा मंदिर कनोजा के गुर्जर प्रतिहार राजाओं (800 से 950 ईस्वी) द्वारा बनाया गया था। मालवा के राजा भोज और गुजरात के राजा भीमदेव ने तीसरे मंदिर के अवशेष पर चौथा मंदिर बनवाया। तब इसे 1169 में गुजरात के राजा कुमारपाल ने बनवाया था, जिसका अवशेष 1950 तक बना रहा। बाद में, 1169 में गुजरात के राजा कुमारपाल द्वारा निर्मित सोमनाथ का पांचवां मंदिर बनाया गया था। 1947 में इसे ध्वस्त कर दिया गया और एक नए मंदिर की योजना बनाई गई। सोमनाथ मंदिर की आधारशिला 8 मई 1950 को रखी गई थी। प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव 11 मई, 1951 को आयोजित किया गया था। हिदुस्थान समाचार/हर्ष/पारस-hindusthansamachar.in

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