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हमारे लिए पार्टी ही सर्वस्व हुआ करती थी: अनिंद्य गोपाल मित्र

कोलकाता,14 अप्रैल (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी की नींव रखने वालों में सबसे अहम नाम अनिंद्य गोपाल मित्र का है। गोपाल 75 वर्ष के हो चुके हैं। संघ से जुड़े रहकर जीवन का बड़ा हिस्सा पार्टी के लिए समर्पित करने वाले मित्र का कहना है कि उस जमाने में पार्टी ही उनके लिये सर्वस्व हुआ करती थी। उनका कहना कि इस बार के चुनाव में कड़ी टक्कर होने वाली है और संभवतः 02 मई को खेला शेष नहीं होगा। अनिंद्य गोपाल का जीवन किसी चित्रपट की पटकथा की तरह रही है। उनका जन्म 1947 में बांग्लादेश के खुलना इलाके में हुआ था। भारत स्वाधीन होने से तीन दिन पहले वह अपनी मां के साथ बंगाल आ गए थे। बुधवार को हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत के दौरान अनिंद्य गोपाल मित्र ने बताया कि 1955 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ उनका नाता जुड़ा था। 1963 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के साथ ही उन्हें संघ में विस्तारक की जिम्मेदारी मिल गई। करीब सात सालों तक उन्होंने यह दायित्व निर्वहन किया। अनिंद्य ने बताया कि एक बार कांग्रेस ने उन्हें कोलकाता की बउबाजार विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने और जीतने पर मंत्री बनाने का प्रस्ताव दिया। तब कांग्रेस के सिद्धार्थ शंकर राय ने सोमेन मित्रा को अपना दूत बनाकर उनके घर भेजा था लेकिन उन्होंने बिना देर किये कांग्रेस का प्रस्ताव ठुकरा दिया था। पुराने दिनों को याद करते हुए अनिंद्य ने बताया कि आपातकाल के दौरान बालासाहब देवरस संघ के सरसंघचालक थे। उनके भाई भाउराव देवरस को पूर्वांचल की जिम्मेदारी मिली थी। उन्हीं के निर्देश पर मैंने राजनीतिक दायित्वों का पालन करना शुरू किया।11 जुलाई 1977 को मैं युवा जनसंघ का प्रदेश अध्यक्ष बना। उन्होंने बताया कि प्रफुल्ल सेन, आवा माइती, प्रदीप चौधरी, अशोक घोष जैसे समकालीन राजनीति के महारथियों के साथ उठना बैठना था। मौका मिलने पर इन नेताओं को भाऊराव देवरस से भी मिलवाता था। वार्ता के दौरान उन्होंने बताया कि जयप्रकाश नारायण ने जब नवनिर्माण समिति का गठन किया तो उन्होंने चार लोगों को सलाहकार नियुक्त किया था। इनमें लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान के साथ मैं भी था। विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधानमंत्री बने तो पार्टी की तरफ से मुझे उनका सहायक नियुक्त किया गया। 06 अप्रैल 1980 के दिन भाजपा के बनने के बाद अगले साल मुझे पार्टी की युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बना। 1983 में प्रदेश सचिव बना और 1990 में फिर से प्रदेश सचिव की जिम्मेदारी मिली। संगठन में बदलाव के सवान पर अनिंद्य गोपाल मित्र ने बताया कि उस वक्त प्रदेश अध्यक्ष नहीं बल्कि प्रदेश सचिव ही पार्टी का सर्वेसर्वा हुआ करते था। तपन सिकदर जब प्रदेश अध्यक्ष बने तब से प्रदेश अध्यक्ष का पद महत्वपूर्ण हो गया। कई वर्ष तक जूट फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अनिंद्य ने बताया कि नरेंद्र मोदी के साथ उनका संबंध चार दशक पुराना है। वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने मुझे बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के मुद्दे पर बात करने के लिए शेख हसीना के पास दूत के तौर पर भेजा था। अनिंद्य गोपाल ने बताया कि पार्टी का काम ही हमारे लिए सब कुछ था। अलग से परिवार बनाने का कभी सोचा भी नहीं। अटल बिहारी वाजपेयी जब प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने निर्देश दिया कि शादी करनी होगी। उस वक्त मेरी आयु 54 साल थी और अधेड़ उम्र में शादी करने को बाध्य होना पड़ा। उन्होंने बताया कि अपनी पार्टी के अलावा अन्य दलों के जेपी, इंदिरा गांधी, ज्योति बसु, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी जैसे नेताओं के साथ घनिष्ठ संपर्क रहे। ज्योति बसु मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद सप्ताहांत में नियमित रूप से मेरे घर आया करते थे। पिछले साल 26 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी मुझे सम्मानित करने आये थे। चुनाव प्रचार में शामिल होने के सवाल पर अनिंद्य गोपाल ने कहा कि मैं यथासंभव प्रचार में शामिल होता रहता हूं। अभी चार दिन के लिए बोलपुर गया था। उत्तर दमदम और चौरंगी विधानसभा क्षेत्रों में भी प्रचार में हिस्सा ले चुका हूं। पार्टी का दायरा बढने पर आनिंद्य गोपाल ने कहा कि सेलिब्रिटियों को पार्टी में शामिल करना, एक बड़ी भूल साबित हो सकती है। यह सारे अपने हितों के लिए पार्टी में आए हैं। सबका अपना कोई ना कोई मकसद है। यह बात मैंने पार्टी नेतृत्व को भी बताई है। हिन्दुस्थान समाचार/मधुप

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