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हिन्द-प्रशांत की अवधारणा शीत युद्ध की विदाई का संकेत : जयशंकर

नई दिल्ली, 14 अप्रैल (हि.स.)। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि ‘हिन्द-प्रशांत’ की अवधारणा शीत युद्ध की मानसिकता से उबरने की द्योतक है और किसी भी तरह से शीत युद्ध को दोबारा थोपने का प्रयास नहीं है। राजधानी में चल रहे रायसीना संवाद में हिंद-प्रशांत पर आयोजित चर्चा में भाग लेते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि यह एक तरह से इतिहास को दोहराने जैसा है। अतीत में भारत के विभिन्न देशों विशेषकर एशिया के देशों के साथ आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध थे। इस प्रकार से हिंद-प्रशांत की अवधारणा हमेशा से मौजूद रही है। इस क्षेत्र में सीमाओं से परे भारत के विभिन्न देशों से संपर्क थे। भारत और अरब देशों के बीच मजबूत आर्थिक कारोबार था तो वहीं दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों और चीन के पूर्वी तट तक भारत का सांस्कृतिक प्रभाव था। विदेश मंत्री ने कहा कि हिन्द-प्रशांत वास्तव में वर्तमान दुनिया की हकीकत को उजागर करता है। यह शीत युद्ध को थोपने नहीं बल्कि इससे उबरने की निशानदेही कराता है। संवाद के दौरान जयशंकर के साथ ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मारिसे पायने और फ्रांस के विदेश मंत्री जीन यवेस ली द्रियान ने भाग लिया। जयशंकर ने अपने समकक्ष विदेश मंत्रियों से कहा कि वह हिन्द-प्रशांत की अवधारणा को समकालीन विश्व की हकीकत से के परिपेक्ष में ही देखें। रायसीना संवाद में विशेष रुप से कोरोना महामारी से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा हुई तथा इसका मुकाबला करने के लिए सहयोग के उपाय पर विचार किया गया। हिन्दुस्थान समाचार/सुफल/अनूप

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