तब्लीगी जमात में शामिल 60 मलेशियाई नागरिक बरी
तब्लीगी जमात में शामिल 60 मलेशियाई नागरिक बरी

तब्लीगी जमात में शामिल 60 मलेशियाई नागरिक बरी

नई दिल्ली, 09 जुलाई (हि.स.)। दिल्ली की साकेत कोर्ट ने निजामुद्दीन मरकज में तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल 60 मलेशियाई नागरिकों को बरी कर दिया है। चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट गुरमोहिना कौर ने इन मलेशियाई नागरिकों को सात-सात हजार रुपये के जुर्माने पर बरी करने का आदेश दिया। इन मलेशियाई नागरिकों ने समझौते के लिए याचिका दायर की थी जिसके बाद कोर्ट ये आदेश दिया। कोर्ट ने पिछले 8 जुलाई को 21 देशों के 22 नागरिकों को जमानत दी थी। चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट गुरमोहिना कौर ने 22 विदेशी नागरिकों को दस-दस हजार रुपये के मुचलके पर जमानत देने का आदेश दिया। कोर्ट ने 8 जुलाई को जिन देशों के 22 नागरिकों को जमानत दिया था उनमें अफगानिस्तान, ब्राजील, चीन, अमेरिका, यूक्रेन, ऑस्ट्रेलिया, मिस्त्र, रूस, अल्जीरिया, बेल्जियम, सउदी अरब, जॉर्डन, फ्रांस, कजाकिस्तान, मोरक्को, ट्यूनिशिया, ब्रिटेन, फिजी, सूडान, फिलीपींस और इथियोपिया के नागरिक शामिल हैं। साकेत कोर्ट ने पिछले 7 जून को 122 मलेशियाई नागरिकों को जमानत दी थी। साकेत कोर्ट ने 956 विदेशी नागरिकों के खिलाफ दायर 59 चार्जशीट पर संज्ञान लिया और सभी विदेशी नागरिकों को नोटिस जारी कर कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया। ये विदेशी नागरिक पिछले मार्च महीने में तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए थे। चार्जशीट में इन विदेशी नागरिकों को वीजा नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट में कहा है कि इन विदेशी नागरिकों ने कोरोना को लेकर केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया। उल्लेखनीय है कि पिछले 2 जून को दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को सुझाव दिया था कि वो तब्लीगी जमात के विदेशी नागरिकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई करते समय उन मामलों का पहले निष्पादन करें जिनमें आरोपी अपनी गलती मान चुके हों या जिसमें समझौते की गुंजाइश हो। हाईकोर्ट ने साकेत कोर्ट के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया था कि वो इन मामलों की सुनवाई के लिए एक तिथि और समय तय करे ताकि उन्हें तेजी से निपटाया जा सके। हाईकोर्ट ने साकेत कोर्ट के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट को सुझाव दिया था कि वो पहले तब्लीगी जमात से जुड़े सभी मामलों का आरोपियों के देश के मुताबिक वर्गीकरण करें। मामलों का संज्ञान लेने के बाद अगर आरोपी अपना आरोपी स्वीकारते हैं या समझौता होता है तो उन्हें पहले निपटाया जाए। कोर्ट ने कहा था कि आरोपियों की कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये उपस्थिति के लिए संबंधित देशों के उच्चायोग से भी आग्रह किया जा सकता है। हिन्दुस्थान समाचार/संजय/सुनीत-hindusthansamachar.in

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