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स्वदेशी के बिना स्वराज संभव नहीं : प्रो़ रामजी सिंह

पटना, 14 अगस्त (आईएएनएस)। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गांधीवादी चिंतक के रूप में प्रसिद्ध रामजी सिंह का मानना है कि स्वदेशी के बिना स्वराज संभव नहीं है। उन्होंने पार्टी आधारित राजनीति को भी गलत बताते हुए कहा कि इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। उनका मानना है कि राजनीति जनता आधरित होनी चाहिए। पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर रामजी सिंह वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के साथ-साथ सन 1974-75 के छात्र आंदोलन में भी शिरकत की। सिंह का कहना है कि महात्मा गांधी के स्वतंत्रता आंदोलन में स्वराज आवश्यक अंग थ, लेकिन स्वदेशी उनका मूल था। उन्होंने कहा, स्वदेशी आंदोलन के समय भी जिस पेंसिल का प्रयोग होता था, वह देश का बना था। आज आम्निर्भरता काफी जरूरी है। आत्मनिर्भरता के बिना पूर्ण आजादी की कल्पना नहीं की जा सकती। आत्मनिर्भरता ही आजादी का सवरेत्तम पड़ाव है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि देश आजाद जरूर हो गया, लेकिन गांधीजी जिन-जिन मुद्दों पर जोर देते थे, वे आज भी बरकरार हैं। बकौल सिंह, गरीबी और बेकारी के साथ गैर बराबरी की समस्या दूर होने पर ही भारत सच्चे अर्थो में स्वाधीन होगा। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता से लोगों का कांफिडेंस उपर हो जाता है। उन्होंने हालांकि माना ग्लोबल कंसेप्ट भले ही उभर रहा हो, लेकिन जब हम आत्मनिर्भर नहीं होंगे, तो इसका सबसे ज्यादा लाभ दूसरे को मिलता है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं की वस्तुओं में ही स्वदेशी हो शिक्षा में भी हमें स्वदेशी का प्रयास करना हेागा। बिहार के मुंगेर में एक साधारण किसान परिवार में जन्मे सिंह पटना विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर, जैन धर्म पर पीएचडी, राजनीति विज्ञान के अंतर्गत विचार में डी लिट् कर प्रो सिंह हिंद स्वराज पर यूजीसी के ऐमेरिट्स फेलो रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि स्वदेशी शिक्षा के बिना देश की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा, गांधी जी कहा करते थे कि स्वदेशी शिक्षा के बिना स्वावलंबी नहीं हुआ जा सकता। स्वावलंबी के बाद ही स्वदेशी और फिर स्वराज आएगा। उन्होंने कहा कि आज की शिक्षा में स्वदेशी की बात करने की कल्पना नहीं की जा सकती। आज की शिक्षा में न कल्चर की बात हो रही है ना हीं देश की बात हो रही है। प्रो़ सिंह ने आज की राजनीति में बदलाव का जिक्र करते हुए कहा कि आज जनता के हित की राजनीति नहीं हो रही है, केवल राजनीतिक दलों के प्रमुखों के दिशा-निर्देशों पर ही राजनीति हो रही है। उन्होंने कहा, राजनीति जनता आधारित होना चाहिए, जिसमें जनता की आवाज सुनी जाती है। आज राजनीति में नीति नहीं है, सिद्घांत विहीन इस राजनीति का कोई आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि आज पंचायत स्तर पर भी पार्टी आाधारित राजनीति हो रही है, जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है। भागलपुर विश्वविद्यालय के शिक्षक रहने के दौरान विनोबा भावे के भूदान आंदोलन के लिए कार्य करने वाले सिंह ने ग्रासरूट डेमोक्रेसी पर बल देते हुए कहा कि पार्टी सिस्टम ही आज लोकतंत्र बन गया है। उन्होंने बेबाकी से कहा कि पूजीपतियों के पूंजीवाद पर आधारित राजनीति आज अर्थनीति बन गई है। अपने जीवन को गांधी के विचारों के प्रति समर्पित करने वाले सिंह कहते हैं कि देश के सामने सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी एवं विषमता है। --आईएएनएस एमएनपी/आरएचए

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