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हाईवे प्रोजेक्ट के लिए पेड़ों के काटने पर दिशा-निर्देश जारी करेगा सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, 18 फरवरी (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो हाईवे प्रोजेक्ट के लिए पेड़ों के काटने पर दिशा-निर्देश जारी करेगा। पश्चिम बंगाल में पेड़ों को काटने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एसए बोब्डे की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये संकेत दिया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हम चाहते हैं कि सरकार सड़कों के लिए पेड़ों को काटने से पहले विकल्पों का पता लगाए। कोर्ट इसके लिए दिशा-निर्देश जारी करने के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन कर सकती है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण, पश्चिम बंगाल सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कमेटी के लिए नाम सुझाने को कहा। चीफ जस्टिस ने कहा कि पेड़ों के मूल्य का निर्धारण पर्यावरण में इनके योगदान के आधार पर किया जाना चाहिए, न कि केवल उसके लकड़ी के मूल्य पर। पेड़ ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं। वे मिट्टी को बांधते हैं। एक निश्चित प्रकार के पेड़, जो एक निश्चित उम्र तक पहुंच चुके हैं, उनकी कभी भी कटाई नहीं होनी चाहिए। याचिका एसोसिएन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स और अर्पिता साहा ने दायर की है। याचिका में सेतु भारतम प्रोजेक्ट के लिए पेड़ों की कटाई को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने इस प्रोजेक्ट के लिए काटे जाने वाले पेड़ों की कीमत के आकलन के लिए एक कमेटी बनाई थी जिसने उनकी कीमत दो अरब बीस करोड़ रुपये आंकी है। इस पर अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कमेटी का ये मूल्यांकन काल्पनिक है। उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट में छह किलोमीटर की दूरी पर 5 रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण शामिल है। जिन पेड़ों को गिराया जाना है उनकी संख्या 306 है। हालांकि कमेटी ने इस प्रोजेक्ट को 59 किलोमीटर लंबा मानते हुए पेड़ों की संख्या चार हजार बताई है। सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने भी सिंघवी की दलील का समर्थन किया। हिन्दुस्थान समाचार/ संजय-hindusthansamachar.in

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