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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- उकसाने वाले प्रसारण पर नियंत्रण हो

- सॉलिसिटर जनरल ने कहा, सीधे प्रसारण के दौरान कही बात पर नियंत्रण लगाना मुश्किल नई दिल्ली, 28 जनवरी (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने तबलीगी जमात के मामले की मीडिया रिपोर्टिंग को झूठा और सांप्रदायिक बताने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा है कि उकसाने वाले प्रसारण पर नियंत्रण हो। कोर्ट ने कहा कि किसानों के दिल्ली आने पर इंटरनेट रोका गया, जो यह दिखाता है कि सरकार चाहे तो स्थिति नियंत्रित कर सकती है। कोर्ट ने सभी पक्षों को तीन हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया है। याचिका में 'प्रेस की स्वतंत्रता' की परिभाषा तय करने की मांग की गई है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि केबल टीवी एक्ट में चैनलों पर कार्रवाई को लेकर स्पष्टता नहीं है। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सीधे प्रसारण के दौरान कही बात पर नियंत्रण लगाना मुश्किल है। कोर्ट ने 17 नवंबर, 2020 को केंद्र सरकार के जवाब पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि अगर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिये फर्जी खबरों पर नियंत्रण की कोई व्यवस्था सरकार नहीं बना सकती है तो कोर्ट को किसी दूसरी एजेंसी को यह जिम्मा सौंपना पड़ेगा। सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने कहा था कि कानून के तहत सरकार के पास फर्जी खबरों पर कार्रवाई करने की पर्याप्त शक्ति है। लेकिन वह मीडिया की स्वतंत्रता की रक्षा करना चाहती है, इसलिए मीडिया के काम में बहुत दखल नहीं देती है। तब चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि हमने पूछा था कि केबल टीबी नेटवर्क रेगुलेशन एक्ट से ऐसे मामलों को कैसे रोका जा सकता है। आपने अब तक मिली शिकायतों पर क्या कार्रवाई की है। आपके जवाब में इन दोनों सवालों का कोई जवाब नहीं है। अगर कानून के तहत कोई मेकानिज्म नहीं बनाई जा सकती है तो हमें किसी और एजेंसी को इसका जिम्मा सौंपना पड़ सकता है। कोर्ट ने 8 अक्टूबर, 2020 को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के निचले स्तर के अधिकारी की तरफ से हलफनामा दाखिल होने पर नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि सीनियर अधिकारी हलफनामा दाखिल करें। कोर्ट ने कहा था कि अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार का आजकल सबसे ज्यादा दुरुपयोग हो रहा है। कोर्ट ने कहा था कि हलफनामा जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश लग रहा है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव हलफनामा दाखिल करेंगे। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार बताए कि उस दौरान किसने आपत्तिजनक रिपोर्टिंग की और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई। सुनवाई के दौरान 7 अगस्त, 2020 को केंद्र सरकार ने कहा था कि ये मीडिया पर रोक यानी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा। तबलीगी जमात की रिपोर्टिंग पर रोक से समाज में घटित घटनाओं के बारे में आम लोगों और पत्रकारों को जानने के अधिकार का उल्लंघन होगा। सुनवाई के दौरान नेशनल ब्राडकास्टर एसोसिएशन ने कहा था कि उसने तबलीगी जमात पर मीडिया रिपोर्टिंग की शिकायतों को लेकर नोटिस जारी किया है। तब याचिकाकर्ता की ओर से वकील दुष्यंत दवे ने कहा था कि नेशनल ब्राडकास्टर एसोसिएशन और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को आदेश जारी करने का कोई अधिकार नहीं है। तब चीफ जस्टिस ने कहा था कि हम आदेश पारित करेंगे। तब दवे ने कहा था कि सरकार ने अब तक इस पर कुछ भी नहीं किया है। तब चीफ जस्टिस ने कहा था कि जहां तक हमारा अनुभव है कि वे तब तक कुछ नहीं करेंगे, जब तक हम निर्देश नहीं देंगे। हिन्दुस्थान समाचार/संजय/सुनीत-hindusthansamachar.in

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