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दिल्ली विस की कमेटी के समन के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

- फेसबुक इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट को कमेटी ने जारी किया है समन नई दिल्ली, 24 फरवरी (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली विधानसभा की पीस एंड हारमनी कमेटी की ओर से फेसबुक इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट अजीत मोहन को जारी किए गए समन के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। सुनवाई के दौरान दिल्ली विधानसभा की पीस एंड हारमनी कमेटी की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा था कि ये मामला कमेटी की शक्तियों को लेकर है। अजीत मोहन की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि पीस एंड हारमनी कमेटी की शक्तियों पर बहुत कुछ कहना है। दिल्ली विधानसभा स्पीकर के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि अजीत मोहन के खिलाफ कोई भी निरोधात्मक कार्रवाई नहीं की गई। अगर वे पेश नहीं होते हैं तो कमेटी स्पीकर को सूचित करेगी, जिसके बाद स्पीकर विशेषाधिकार कमेटी को दे सकते हैं, जो एक विशेषाधिकार नोटिस जारी कर सकती है। ये सब कुछ एक अनुमान मात्र है। उन्होंने कहा था कि फेसबुक ने संसदीय कमेटी को सहयोग किया है लेकिन अब वे कह रहे हैं कि वे दिल्ली विधानसभा की कमेटी के सामने उपस्थित नहीं होंगे। तब कोर्ट ने कहा था कि ये सब समन की प्रकृति पर निर्भर करता है। अजीत मोहन की ओर से हरीश साल्वे ने कहा कि विधानसभा की कमेटी का नोटिस निरोधात्मक है। नोटिस में कहा गया है कि अजीत मोहन को चुप रहने का अधिकार नहीं है। विधानसभा कमेटी ने एक जांच कमेटी का गठन किया है, जो कहता है कि आपकी हिम्मत कैसे हुई। अजीत मोहन इस कमेटी के समक्ष पेश नहीं होना चाहते हैं। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि हमारा मत है कि कानून-व्यवस्था और पुलिस केंद्र सरकार के हाथ में है और उस मामले पर विधानसभा को समन जारी करने का कोई अधिकार नहीं है। तब सिंघवी ने कहा था कि क्या किसी व्यक्ति को अगर कोई विधानसभा नोटिस जारी करती है तो वो विधानसभा के समक्ष उपस्थित हुए बिना ही सुप्रीम कोर्ट आकर पहले क्षेत्राधिकार पर फैसले की मांग करेगा। तब कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली का मामला अलग है। उन्होंने कहा था कि बड़ी बेंच के समक्ष दिल्ली विधानसभा के अधिकार का मामला लंबित है। कोर्ट ने 23 सितंबर, 2020 को कमेटी की ओर से जारी समन पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार, दिल्ली विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था। फेसबुक इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट अजीत मोहन को फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों को लेकर समन जारी किया गया है। इसके पहले दिल्ली विधानसभा की पीस एंड हारमनी कमेटी ने 10 सितंबर, 2020 और 18 सितंबर, 2020 को अजीत मोहन को तलब किया था लेकिन वे पेश नहीं हुए थे। अजीत मोहन ने याचिका दायर कर कहा है कि विधानसभा की ओर से जारी ये समन संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) और 21 का उल्लंघन है। याचिका में दिल्ली विधानसभा की ओर से जारी समन को निरस्त करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि फेसबुक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का एक सुरक्षित प्लेटफार्म है। फेसबुक में यूजर्स को आपत्तिजनक कंटेंट की रिपोर्ट करने का भी विकल्प देता है। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली विधानसभा की पीस एंड हारमनी कमेटी ने फेसबुक के वाइस प्रेसिडेंट को समन भेजकर यह चेतावनी दी है कि अगर वे पेश नहीं हुए तो उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन की कार्रवाई शुरू हो सकती है। हिन्दुस्थान समाचार/संजय

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