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सुप्रीम कोर्ट ने अपने वकीलों को हाईकोर्ट के जज बनाने की जानकारी देने से किया इनकार

नई दिल्ली, 24 जुलाई (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए शीर्ष अदालत के अधिवक्ताओं के नाम प्रस्तावित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पत्र के संबंध में आरटीआई अधिनियम के तहत जानकारी देने से इनकार कर दिया है। एससीबीए अध्यक्ष विकास सिंह द्वारा इस मामले में एक पत्र लिखने का दावा करने के बाद एक वकील अमृतपाल सिंह खालसा ने पारदर्शिता कानून के तहत एक आवेदन दायर किया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि मांगी गई जानकारी को सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 8 (1) (ई) और धारा 11 (1) के प्रावधानों के तहत छूट दी गई है, क्योंकि यह तीसरे पक्ष की सूचना है। सुप्रीम कोर्ट के अतिरिक्त रजिस्ट्रार और सीपीआईओ अजय अग्रवाल ने कहा, रिकॉर्ड पर ऐसा कुछ भी उपलब्ध नहीं है, जिसके आधार पर मांगी गई जानकारी दी जा सके। खालसा ने सीपीआईओ को लिखे अपने पत्र में 31 मई को एससीबीए द्वारा भेजे गए प्रस्ताव की एक प्रति, आदेश, पत्र, संचार या किसी अन्य दस्तावेज के साथ मांगी थी, जिसमें यह नोट किया गया था कि भारत के मुख्य न्यायाधीश ने सहमति व्यक्त की है। एससीबीए का प्रस्ताव खालसा ने एससीबीए प्रस्ताव के लिए समझौते की शर्तों की प्रति और इस संबंध में फाइल नोटिंग के साथ पूरी फाइल की प्रति भी मांगी थी। खालसा ने पत्र में कहा था, कृपया मुझे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों को उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में अभ्यास करने वाले वकीलों की पदोन्नति पर विचार करने के लिए सीजेआई द्वारा जारी अनुरोध पत्र, आदेश की प्रति प्रदान करें। पिछले महीने, शीर्ष अदालत के वकील निकाय ने विभिन्न उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नति के लिए योग्य और मेधावी अधिवक्ताओं की पहचान करने के लिए एक खोज समिति का गठन किया, जो सर्वोच्च न्यायालय में अभ्यास कर रहे थे। खोज समिति में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और वरिष्ठ सदस्य महालक्ष्मी पावानी के साथ बार के चार प्रतिष्ठित सदस्यों राकेश द्विवेदी, शेखर नाफड़े, विजय हंसरिया और वी. गिरि शामिल थे। उच्च न्यायालय कॉलेजियम तब उच्च न्यायालय बार के वकीलों के साथ ऐसे नामों पर विचार कर सकता है, ताकि पदोन्नति के लिए उपलब्ध लोगों में से सबसे योग्य उम्मीदवार का चयन किया जा सके। एससीबीए ने कहा है कि प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमना सर्वोच्च न्यायालय के वकीलों को उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नत करने पर विचार करने के लिए सहमत हैं। --आईएएनएस एसजीके/एएनएम

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