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सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी को लताड़ा, बागजान के पैनल पर लगाई रोक

नई दिल्ली, 1 जुलाई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह आग के कारण, असम के बागान तेल कुएं में जैव विविधता के नुकसान की जांच के लिए ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) के एक अधिकारी समेत 10 सदस्यीय समिति गठित करने के राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश से निराश है। न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि निगम को नुकसान के लिए जिम्मेदार ठहराने के बावजूद एनजीटी ने समिति में ओआईएल के अधिकारी को शामिल किया।

न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने समिति के गठन के हरित न्यायाधिकरण के आदेश पर भी रोक लगा दी। पीठ ने कहा, हमें आश्चर्य है कि एनजीटी पहले यह मानती है कि ऑयल इंडिया पर्यावरण को होने वाले नुकसान और आद्र्रभूमि को नष्ट करने के लिए जिम्मेदार है और फिर उसके अधिकारी को इन मुद्दों पर समिति का सदस्य बनाया गया है। शीर्ष अदालत ने 19 फरवरी के न्यायाधिकरण के आदेश को चुनौती देने वाली एक अपील पर यह आदेश पारित किया।

पीठ ने ट्रिब्यूनल पर जोर दिया कि पर्यावरण के लिए कुछ तत्परता और चिंताएं होनी चाहिए। पैनल को पर्यावरण को नुकसान का आकलन करने और डिब्रू-सैखोवा नेशनल पार्क, मागुरी-मोटापुंग वेटलैंड सहित एक उपचारात्मक बहाली योजना विकसित करने का काम सौंपा गया था। तिनसुकिया जिले के बागजान में वेल नंबर 5 में 9 जून, 2021 को आग लग गई थी, जिसमें ओआईएल के दो दमकलकर्मी मारे गए थे।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि ओआईएल पर आद्र्रभूमि को प्रदूषित करने का आरोप लगाया गया था, लेकिन इसके एमडी को जांच समिति में रखा गया। याचिकाकर्ता बोनानी कक्कड़ का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ मित्रा ने इसे न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन बताया और जोर देकर कहा कि सीधे हितों के टकराव वाले किसी व्यक्ति को मामले का फैसला सुनाने के लिए कहा गया था।

उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी.पी. काटेकी ने मामले पर एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसके बाद प्रगति रिपोर्ट दी गई है, और यदि नई समिति का गठन किया जाता है, तो अंतत: पूरी प्रक्रिया में देरी होगी। मामले में सुनवाई के बाद, शीर्ष अदालत ने एनजीटी के आदेश पर रोक लगा दी और दो सप्ताह के बाद आगे की सुनवाई के लिए कहा। पीठ ने कहा कि वह एक नई समिति का गठन करेगी, जो सभी मुद्दों की जांच करेगी और तेजी से रिपोर्ट सौंपेगी। पीठ ने कहा, हम खुद इसकी निगरानी कर सकते हैं। जिस तरह से एनजीटी ने इसे अपने हाथों से हटा दिया है, उससे हम निराश हैं। --आईएएनएस आरएचए/एएनएम

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