supreme-court-issues-notice-to-5-states-on-the-validity-of-laws-that-make-begging-a-crime
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भीख मांगने को अपराध बताने वाले कानूनों की वैधता पर सु्प्रीम कोर्ट ने 5 राज्यों को जारी किया नोटिस

-सुप्रीम कोर्ट ने तीन हफ्ते में मांगा जवाब नई दिल्ली, 09 अप्रैल (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने भीख मांगने को दंडनीय अपराध घोषित करने वाले कानूनों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई टाल दिया है। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने पांच राज्यों से तीन हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। पिछले 10 फरवरी को कोर्ट ने पांच राज्यों- पंजाब , महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात और बिहार को नोटिस जारी किया था। इन राज्यों की ओर से जवाब दाखिल नहीं करने पर आज कोर्ट ने सुनवाई टाल दिया याचिका विशाल पाठक ने दायर किया है। याचिका में पंजाब प्रिवेंशन ऑफ बेगरी एक्ट , बॉम्बे प्रिवेंशन ऑफ बेगिंग एक्ट के प्रावधानों को चुनौती दी गई है। इन कानूनों में भीख मांगते हुए पहली बार पकड़े जाने पर 3 साल तक की सजा का प्रावधान है। दोबारा पकड़े जाने पर यह सजा बढ़ सकती है। याचिकाकर्ता ने पंजाब, महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात और बिहार के कानूनों को चुनौती देते हुए उन्हें जीवन के अधिकार का हनन करने वाला बताया है। याचिका में कहा गया है कि ये कानून समाज के सबसे निर्धन और कमजोर लोगों के शोषण का हथियार बने हुए हैं। पुलिस इसके जरिए इन लोगों को परेशान करती है। कानून में भिखारियों को सजा देने की बजाय उनके पुनर्वास का भी प्रावधान है, लेकिन सजा के डर से भिखारी उनके लिए बने बेगर होम में जाने को तैयार नहीं होते। हिन्दुस्थान समाचार/संजय

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