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(विशेष) किसान परिवार से हैं भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रमन्ना

नई दिल्ली, 26 अप्रैल (हि.स.)। जस्टिस नाथुलापति वेंकट रमन्ना यही भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश का पूरा दस्तावेजी नाम है। हालांकि, आम बोलचाल में वे जस्टिस रमन्ना के नाम से पहचाने जाते हैं। बीते शनिवार को उन्होंने भारत के नए मुख्य न्यायधीश के रूप में शपथ ली है। जस्टिस रमन्ना की रुचि एक आम भारतीय की तरह है। अविभाजित आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में स्थित पोन्नावरम में इनका जन्म हुआ था। तारीख थी- 27 अगस्त 1957, परिवार में खेती-किसानी का माहौल था। लेकिन, बड़े हुए तो कानून की पढ़ाई में रुचि बढ़ी। कुछ समय तक तो एनाडु अखबार के लिए कानूनी मामलों की खबर लिखते रहे। जब मन भर गया तो वकालत का काम शुरू कर दिया। पहले आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस की। संवैधानिक मामलों के साथ-साथ इंटरस्टेट रिवर ट्राइब्यूनल से जुड़े मामलों पर विशेष काम किया। एक के बाद एक सफलता की सीढ़ियों पर आगे बढ़ते गए। लंबी प्रैक्टिस के बाद साल 2000 में उन्हें आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के स्थायी जज के रूप में नियुक्ति मिली। 10 मार्च 2013 से लेकर 20 मई 2013 तक रमन्ना ने इसी कोर्ट में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की भूमिका निभाई। 17 फरवरी 2014 को वे सुप्रीम कोर्ट में उप-न्यायाधीश के पद पर नियुक्त किये गए। 2019 से उन्होंने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) के कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर भी कार्य किया। जस्टिस रमन्ना प्रगतिशील विचार रखने वाले माने जाते हैं। अभिव्यक्ति की आजादी और लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रबल रक्षक के तौर पर इनकी पहचान है। कहते हैं- जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले के बाद केंद्र सरकार ने वहां इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी थी। इस मुद्दे पर एक याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस रमन्ना ने केंद्र सरकार को इंटरनेट बहाल करने के लिए रिव्यू कमिटी बनाने का निर्देश दिया था। जस्टिस रमन्ना 26 अगस्त 2022 तक भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद पर कार्यरत रहेंगे। हिन्दुस्थान समाचार/ब्रजेश

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