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एसओएस पृथ्वीराज : मिलिए इस गोल्डन हर्ट वाले तमिलनाडु के अधिकारी से

चेन्नई, 7 मई (आईएएनएस)। विरुधनगर जिले में किसी को भी किसी भी तरह की मदद की जरूरत होती है, तो बस एक ही नाम सबके जेहन में उभरकर सामने आता है। वह है पैंतीस वर्षीय दुराई पृथ्वीराज का। तमिलनाडु राज्य सरकार के साथ एक ग्राम प्रशासनिक अधिकारी (वीएओ) और एक पूर्णकालिक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पृथ्वीराज को 2020 के दौरान कोविड के खिलाफ लड़ाई के दौरान उनकी सेवा के लिए मुख्यमंत्री से विशेष पुरुस्कार मिला था। वीएओ अब जरूरतमंदों के लिए दो एम्बुलेंस चला रहे हैं और इन एम्बुलेंस ने कोविड महामारी की पहली लहर के दौरान कई लोगों की जान बचाने में प्रमुख भूमिका निभाई। पृथ्वीराज अपने कॉलेज के दिनों में भी एक सामाजिक कार्यकर्ता थे लेकिन समाज की सेवा करने के उनके संकल्प को उस समय धक्का लगा था, जब उनके भाई राजेश की 2011 में एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। पृथ्वीराज ने आईएएनएस को बताया, मेरे भाई की मृत्यु हो गई क्योंकि एम्बुलेंस समय पर नहीं पहुंची और हम उनके शव को घर वापस लाने के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था नहीं कर पाए। हमें बहुत सारे पैसे देने के लिए कहा गया। मैं नहीं चाहता कि जीवन में किसी को भी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़े। इसलिए एम्बुलेंस खरीदने के लिए पैसे बचाए। अब विरुधनगर जिले में, पुलिस अधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों के दिमाग में ऐंबुलेंस सहायता के वक्त जो नाम आता है, वह पृथ्वीराज का है। पृथ्वीराज रोगियो को घर से अस्पताल और अस्पताल से मेडिकल कॉलेज ले जाने में इनकी मदद करते हैं। विरुधनगर जिले के एक अधिकारी अरुलनायकम ने आईएएनएस को बताया, जब भी हम किसी मरीज को अस्पताल पहुंचाना चाहते हैं और अगर मरीज के पास पैसा नहीं है, तो हम पृथ्वीराज को बुलाते हैं और वह मामले को सुलझाता है। अधिकारी उन्हें भोजन वितरण और यहां तक कि बाल कल्याण केंद्रों में बच्चों की देखभाल के लिए याद करते हैं। पृथ्वीराज ने 2014 में अरुप्पुकोट्टई में अपने दिवंगत भाई, राजेश उधवम करंगल के नाम पर एक ट्रस्ट शुरू किया है। एनजीओ औषधीय जरूरतों, शैक्षिक आवश्यकताओं और अन्य स्वैच्छिक जरूरतों का ख्याल रख रहा है। जून 2020 में जब कोविड के मामले बढ़ रहे थे तब एम्बुलेंस की कमी थी और जुलाई 2020 तक, संकट बढ़ गया - तुरंत पृथ्वीराज ने अपनी एम्बुलेंस सेवा में बढ़ोतरी की। पृथ्वीराज ने कहा, हमें एक और एम्बुलेंस की आवश्यकता थी और एक अच्छे व्यक्ति ने हमें दूसरी एम्बुलेंस दान की जो पिछले साल महामारी की लहर में मददगार थी। ग्राम प्रशासनिक अधिकारी इस बात को लेकर स्पष्ट हैं कि उन लोगों से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा जिनके पास भुगतान करने के लिए पैसे नहीं हैं। उन्होंने कहा, हम उन लोगों से कुछ भी शुल्क नहीं लेते हैं, जिनके पास पैसा नहीं है और भले ही लोगों के पास पैसे होता है, हम नहीं मांगते। जो खुद से देना चाहते हैं, वहीं पैसे हम स्वीकार करते हैं। वास्तव में हम केवल दान के माध्यम से अपनी सेवा चला रहे हैं और कुछ नहीं। महामारी के दौरान एम्बुलेंस सेवाएं सामान्य किराया का दो गुना से तीन गुना तक वसूल रही थीं और हम लोगों की मदद कर रहे थे, जिनके पास पैसा नहीं है। --आईएएनएस आरएचए/आरजेएस

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