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मप्र में छह लाख नवजात शिशुओं को नहीं मिल पाता मां का दूध !

भोपाल, 30 जुलाई (आईएएनएस)। शिशुओं को आवश्यक पोषण प्रदान करने का सबसे अच्छा तरीका स्तनपान है, मगर मध्य प्रदेश में हर साल लगभग छह लाख नवजात शिशुओं को छह माह नहीं मिल पाता मां का दूध। स्तनपान को प्रोत्साहित करने और दुनियाभर के शिशुओं के स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए हर वर्ष एक से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है। इसी क्रम में मध्य प्रदेश में भी विविध कार्यक्रम आयोजित कर स्तनपान को प्रोत्साहित किया जाएगा। महिला-बाल विकास विभाग की संचालक निधि निवेदिता ने बताया कि मध्यप्रदेश में प्रति वर्ष जन्म लेने वाले 14 लाख बच्चों में से केवल 4.8 लाख बच्चों को जन्म के तुरंत बाद जीवन रक्षक खीस (कोल्स्ट्रम) मिलता है। लगभग नौ लाख बच्चे इससे वंचित रहते हैं। उन्होंने बताया कि केवल आठ लाख बच्चों को छह माह तक मां का दूध दिया जाता है, 5.8 लाख बच्चे इससे वंचित रह जाते हैं। जन्म से 24 घंटे के बाद स्तनपान शुरू कराने से शिशुओं के मौत का खतरा 2.4 गुना बढ़ जाता है। स्तनपान एवं ऊपरी आहार से शिशु मृत्यु दर में 19 प्रतिशत की कमी लाई जा सकती है। समाज को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। परिवार के सदस्यों को यह समझना आवश्यक है कि स्तनपान विशेष रूप से विभिन्न संक्रामक बीमारियों से बचाने में सक्षम है, क्योंकि यह सीधे मां से रोग प्रतिकारक क्षमता को स्थानांतरित करके शिशु की रोग प्रतिरोधक प्रणाली को मजबूत कर देता है। संचालक निधि निवेदिता ने बताया कि विश्व स्तनपान सप्ताह पर सभी जिलों में साप्ताहिक वेबिनार, स्थानीय भाषा में स्लोगन का पोस्टर एवं वीडियो का प्रचार, मीडिया का संवेदीकरण, स्तनपान कराने वाली महिलाओं को सफल गाथाओं का संकलन कर रेडियो में प्रसारण, डिजिटल पिक्च र स्टोरी प्रतियोगिता, पोषण प्रशिक्षण आदि कार्यक्रम आयोजित होंगे। --आईएएनएस एसएनपी/एएनएम

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