shilwan-politics-is-the-life-of-democracy-ram-madhav
shilwan-politics-is-the-life-of-democracy-ram-madhav

शीलवान राजनीति लोकतंत्र का जीवनः राम माधव

-पटना के एएन सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान में पुस्तक लोकार्पण एवं वैचारिक राजनीति विषय पर संगोष्ठी का आयोजन -राम राज्य में वैचारिक राजनीति, जहां पक्ष भी विपक्ष की भावना का ख्याल रखता है -सभी दलों एवं मतों के लोगों के साथ मिल बैठकर विचार करना ही लोकतंत्र में वैचारिक राजनीतिः प्रो. नवल किशोर पटना, 07 फरवरी (हि.स.)। 'बिकॉज इंडिया कम्स' पुस्तक के लेखक, राजनीतिक चिंतक और भाजपा के वरिष्ठ नेता राम माधव ने कहा कि विचारहीन राजनीति के दौर में विचारशील और संवेदनशील होना अति आवश्यक है। शीलवान राजनीति लोकतंत्र का जीवन है। यह बात उन्होंने 'कबीर के लोग' एवं कैटलिस्ट कॉलेज की ओर से रविवार को एएन सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान पटना में आयोजित पुस्तक लोकार्पण एवं वैचारिक राजनीति विषय पर हुई संगोष्ठी में कही। राजनीतिक चिंतक राम माधव ने कहा कि राजनीति के साथ चरित्र होता है जबकि विचार के साथ शील जुड़ा होता है। नैतिक चरित्र और विचारशीलता वैचारिक राजनीति को दिशा प्रदान करते हैं। राजनीति में विचार ऊपर से थोपा जाता है। यह चरित्र है जबकि आंतरिक भाव की उपज शील है। भारत एक राष्ट्र है जहां जातीय चेतना, वर्ग चेतना आदि है। राम राज्य में वैचारिक राजनीति है जहां पक्ष भी विपक्ष की भावना का ख्याल रखता है। उन्होंने कहा कि सामाजिक लोकतंत्र में सभी वर्ग एवं जाति के लोगों को स्वयं ऊपर उठना होगा। अंत्योदय की भावना वैचारिक राजनीति का अंग है, जिसमें संकेतों और प्रतीकों का महत्व होता है। पटना विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर एवं वामपंथी विचारक प्रो. नवल किशोर चौधरी ने कहा कि सभी दलों एवं मतों के लोगों के साथ मिल बैठकर विचार करना ही लोकतंत्र में वैचारिक राजनीति है। सत्ता ही राजनीति में धर्म नहीं होना चाहिए। विपरीत विचार को राजनीति में अछूत नहीं मानना चाहिए। विचार शुद्धता विश्वविद्यालय महाविद्यालय में प्रथम जबकि राजनीति में द्वितीय होनी चाहिये। आद्री संस्थान के प्रोफेसर पीपी घोष ने कहा कि राष्ट्रवाद, पहचान भारत में महत्वपूर्ण है जो संस्कृति पर आधारित होता है। राजनीति भी संस्कृति से प्रभावित होती है। जन अधिकार पार्टी के नेता राघवेंद्र कुशवाहा ने कहा कि राजनीति में विचार गतिशील नही होने से व्यवस्था कमजोर होती है तो आंदोलन जन्म लेता है। राजनीति में धन और बल का प्रभाव वैचारिक राजनीति को खत्म करता है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी के प्रोफेसर एवं कांग्रेस नेता डॉ. अमरनाथ पासवान ने कहा कि वैचारिक राजनीति में हमेशा पुनर्विचार की आवश्यकता होती है। राजनीतिक भ्रष्टाचार विचारहीनता का प्रतीक होता है। भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के चेयरमैन प्रो. आरसी सिन्हा ने कहा कि राष्ट्रवाद एक खुली अवधारणा है, जिसमें सभी के विचारों का समावेश होता है। देश के प्रसिद्ध पंचायत मुखिया एवं राजद नेता ऋतु जायसवाल का मानना है कि लोकतंत्र का दल के अंदर होने से वैचारिक राजनीति मजबूत होता है। राजनीतिक बहुलता में भी सामाजिक समरसता एवं राष्ट्रीय एकता को सुरक्षित करेः संजय पासवान कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री सह बिहार विधान परिषद के सदस्य प्रो. संजय पासवान ने कहा कि चाणक्य, चंद्रगुप्त की धरती बिहार का यह कर्तव्य है कि राजनीतिक बहुलता में भी सामाजिक समरसता एवं राष्ट्रीय एकता को सुरक्षित करना चाहिए। कार्यक्रम में विभिन्न राजनीतिक दलों, स्टार्टअप थिंकटैंक एवं शोध संस्थान के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। अतिथियों का स्वागत कटलिस्ट कॉलेज की नीरज अग्रवाल ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन 'कबीर के लोग' के विजय चौधरी ने किया। हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/रामानुज-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in